भारत की रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक बढ़त: आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयां

Apr 3, 2025 - 11:30
Apr 12, 2025 - 14:18
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भारत की रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक बढ़त: आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयां

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 80 देशों को 23,622 करोड़ रुपये के हथियार और सैन्य उपकरण निर्यात किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है। यह उपलब्धि भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक हथियार बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी

इस सफलता के पीछे सरकारी और निजी क्षेत्र की संयुक्त मेहनत रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के निर्यात में 42.85 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान कुल निर्यात का 64 प्रतिशत तक पहुंच गया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और टाटा-लॉकहीड मार्टिन जैसे भारतीय उद्यम अब अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

भारत के प्रमुख रक्षा निर्यात उत्पाद

भारत अब मिसाइल सिस्टम, ड्रोन, आर्टिलरी गन और हल्के लड़ाकू विमान जैसे तेजस का निर्यात कर रहा है। म्यांमार, आर्मेनिया और फिलीपींस जैसे देशों ने भारतीय हथियारों को अपनाकर उनकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर भरोसा जताया है।

लक्ष्य से पीछे, लेकिन उम्मीद बरकरार

हालांकि, सरकार द्वारा 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन मौजूदा आंकड़े इस लक्ष्य से 11,378 करोड़ रुपये पीछे हैं। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में देरी ने इस लक्ष्य को प्रभावित किया। फिर भी, 12 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम

'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत, भारत रक्षा उत्पादन में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। पहले जहां भारत विश्व में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था, वहीं अब वह एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभर रहा है। सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI को प्रोत्साहित करने से विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है, जिसका सीधा प्रभाव रक्षा उत्पादन क्षमता पर पड़ा है।

वैश्विक बाजार में भारत की चुनौतियां

रूस, अमेरिका और चीन जैसे दिग्गज देशों के मुकाबले भारत को किफायती कीमतों और उच्च गुणवत्ता को बनाए रखते हुए अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी नवाचार और वैश्विक स्तर पर बेहतर मार्केटिंग रणनीतियों से भारत इस प्रतिस्पर्धा में अपनी मजबूत पकड़ बना सकता है।

भविष्य की राह

भारत के लिए 23,622 करोड़ रुपये का निर्यात सिर्फ आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सफलता भी है। आने वाले वर्षों में, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित हथियार और नौसेना उपकरणों के विकास पर फोकस करके भारत इस आंकड़े को और ऊंचा कर सकता है।

भारत की यह उपलब्धि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह केवल रक्षा क्षेत्र में मजबूती ही नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं का भी प्रदर्शन है। यदि सरकार अपनी नीतियों को और लचीला बनाती है और उद्योग जगत इस रफ्तार को बनाए रखता है, तो आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक रक्षा बाजार में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाएगा।

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