आदिवासियों को 2017 से पहले नहीं था मतदान का अधिकार? योगी आदित्यनाथ का बड़ा दावा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला दावा किया है। लखनऊ में आयोजित गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 5.0 के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के आदिवासियों को वोट देने का अधिकार नहीं था।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि वामपंथी और ईसाई मिशनरी आदिवासियों का "ब्रेनवॉश" करते थे और उन्हें मुख्यधारा से दूर रखते थे। उन्होंने कहा कि भले ही भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली, लेकिन यूपी के कई आदिवासी समुदायों को असली आज़ादी 2017 के बाद ही मिली।
क्या बोले मुख्यमंत्री?
सीएम योगी के मुताबिक, "2017 से पहले आदिवासी समुदाय को न राशन कार्ड, न बिजली-पानी, न कनेक्टिविटी की सुविधा थी। वनटांगिया, थारू, मुसहर, कोल और गोंड जैसे जनजातीय समुदाय बुनियादी अधिकारों से वंचित थे।"
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने इन गांवों को राजस्व गांव की मान्यता दी और सरकारी योजनाओं का लाभ देना शुरू किया।
"वोट का अधिकार पहली बार मिला"
योगी आदित्यनाथ ने यह भी दावा किया कि 2022 और 2024 के चुनावों में कई आदिवासी पहली बार वोट देने पहुंचे। उनके अनुसार, बीजेपी शासन में इन समुदायों को पहली बार लोकतंत्र में भागीदारी का अनुभव हुआ।
भारत सेवा की भूमि है
कार्यक्रम में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि सेवा करना प्रार्थना से बड़ा कार्य है, और भारत एक सेवा प्रधान भूमि है। उन्होंने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के योगदान की सराहना की और समाज से पिछड़े वर्गों को साथ लेकर चलने की बात कही।
What's Your Reaction?






