अगर मान ली होती सरदार पटेल की बात, तो POK आज भारत का हिस्सा होता: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गुजरात दौरे के दौरान गांधीनगर में जनता को संबोधित करते हुए इतिहास के एक गंभीर मोड़ की ओर देश का ध्यान खींचा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि आज़ादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शी सोच को महत्व दिया गया होता, तो पाक अधिकृत कश्मीर (POK) आज भारत का अभिन्न हिस्सा होता।
आज़ादी के बाद की ऐतिहासिक चूक: POK का छिन जाना
1947 में भारत की आज़ादी के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तान ने कबीलाई लड़ाकों और आतंकवादियों के भेस में हजारों लड़ाकों को जम्मू-कश्मीर में भेज दिया। उनका मक़सद साफ़ था — कश्मीर को भारत से छीनना। इस अघोषित युद्ध में भारतीय सेना ने वीरता से मुकाबला किया और पाकिस्तानी हमलावरों को पीछे धकेलते हुए मुजफ्फराबाद तक पहुंच गई थी।
लेकिन दुर्भाग्यवश, भारतीय सेना की इस विजय को राजनीतिक नेतृत्व ने उस समय रोक दिया। प्रधानमंत्री ने सीधे-सीधे इशारा किया कि अगर कांग्रेस ने उस समय सरदार पटेल की सलाह पर कार्रवाई की होती, तो न केवल POK बचता, बल्कि आतंकवाद की जड़ भी वहीं समाप्त हो जाती।
आतंकवाद: पाकिस्तान की "सोची-समझी युद्धनीति"
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि आतंकवाद कोई स्वतः उपजा उग्रवाद नहीं, बल्कि यह पाकिस्तान की एक सोची-समझी रणनीति है — जो वह पिछले 75 वर्षों से भारत के खिलाफ एक छद्म युद्ध के रूप में चला रहा है।
कभी मुंबई बम धमाके, कभी संसद पर हमला, कभी पुलवामा, कभी उरी — ये सब उस योजना का हिस्सा हैं, जिसे 1947 में ही जन्म दिया गया था।
सरदार पटेल: जिनकी बात अनसुनी गई
सरदार पटेल ने जिस कुशलता से 562 रियासतों को भारत में विलय कराया, अगर उन्हें जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र का पूरा प्रभार दिया गया होता, तो आज भारत का नक्शा कुछ और होता। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि सरदार पटेल के रहते न सीमाओं की समस्या होती, न आतंकवाद की पीड़ा।
आज का भारत: निर्णायक नेतृत्व, ठोस कदम
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अब आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर कोई नरमी नहीं बरती। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेज़ी और वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करना — ये सभी कदम उसी सोच का हिस्सा हैं, जिसे सरदार पटेल वर्षों पहले लेकर चल रहे थे।
इतिहास से सबक, भविष्य की सुरक्षा
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान हमें याद दिलाता है कि इतिहास की गलतियां केवल अतीत को नहीं, वर्तमान और भविष्य को भी प्रभावित करती हैं।
अगर सरदार पटेल की बात मानी गई होती, तो शायद भारत का भूगोल, सुरक्षा और शांति — तीनों आज अलग होते।
"देश को जोड़ने वाले नेता की बात को नजरअंदाज कर, हमने विभाजन और आतंक की नींव पड़ने दी। अब समय है कि राष्ट्रहित को राजनीतिक निर्णयों से ऊपर रखा जाए।"
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