भारत की 'वॉटर स्ट्राइक': सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कमर टूटने की कगार पर

Apr 24, 2025 - 13:01
Apr 24, 2025 - 13:01
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भारत की 'वॉटर स्ट्राइक': सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कमर टूटने की कगार पर

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने न केवल आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, बल्कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों का करारा जवाब भी दिया है। मंगलवार को 28 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित कर दिया है। इस निर्णय को विशेषज्ञ ‘वॉटर स्ट्राइक’ कह रहे हैं, जिसका सीधा प्रभाव पाकिस्तान की कृषि, बिजली, रोजगार और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है।

क्या है सिंधु जल संधि और क्यों है ये अहम?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत छह नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज) में से पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का उपयोग करता है जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है। अब भारत द्वारा संधि को स्थगित करने का मतलब है - पाकिस्तान के लिए जल संकट की शुरुआत।

भारत के बांध और पाकिस्तान पर असर

किशनगंगा डैम (झेलम): पाकिस्तान के हिस्से में जाने वाले पानी को नियंत्रित करता है।

रतले डैम (चिनाब): निर्माणाधीन परियोजना, जो पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र की सिंचाई को प्रभावित कर सकती है।

शाहपुरकंडी व उज्ह डैम (रावी): पाकिस्तान की जल पहुँच को न्यूनतम करने वाले प्रोजेक्ट।

PAK की कमर तोड़ने वाले 5 प्रभाव

1. कृषि का पतन: पाकिस्तान की 80% सिंचित ज़मीन सिंधु प्रणाली पर निर्भर है। जल आपूर्ति बंद होने से गेहूं, चावल, कपास जैसी फसलें बर्बाद होंगी।


2. बिजली संकट: सिंधु के पानी से चलने वाले तरबेला और मंगला डैम से मिलती 30% बिजली ठप हो सकती है।


3. रोजगार का नुकसान: ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे बेरोजगारी और आंतरिक पलायन बढ़ेगा।


4. प्रांतों में तनाव: सिंधु जल की कमी से सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के बीच नया जल विवाद शुरू हो सकता है।


5. निर्यात में गिरावट: बासमती चावल व अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात घटेगा, जिससे पाकिस्तानी रुपया कमजोर और विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित होगा।

सिर्फ पानी नहीं, रणनीति है ये

भारत की यह रणनीतिक ‘वॉटर स्ट्राइक’ एक शांत लेकिन गहरी चोट है। युद्ध की बजाय कूटनीतिक और संसाधनों के स्तर पर पाकिस्तान को झकझोरने की दिशा में यह कदम असली मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।

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