मणिपुर संकट: 'शांति चाहिए तो चुनी हुई सरकार बहाल कीजिए' — विधायकों का केंद्र को अल्टीमेटम

मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता थमने का नाम नहीं ले रही है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के तीन महीने बाद, अब राज्य के 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। इन विधायकों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि 15 मई तक राज्य में सरकार बहाल नहीं की गई, तो वे स्वयं सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करेंगे।
इस पत्र पर 14 भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें से 3 पहले जनता दल (यूनाइटेड) से चुने गए थे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। इसके अलावा, 3 नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP), 2 नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और 2 निर्दलीय विधायक भी इस प्रयास का हिस्सा हैं। इन 21 विधायकों को 10 कुकी-जो विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है, जिससे यह समूह सत्ता में वापसी का मजबूत दावा ठोक रहा है।
विधायकों की प्रमुख मांगें:
राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल की जाए।
राष्ट्रपति शासन को समाप्त कर चुनी हुई सरकार को फिर से स्थापित किया जाए।
राज्य में स्थिरता और शांति के लिए संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाए।
विधायकों का कहना है कि मणिपुर की जनता लंबे समय से राजनीतिक अनिश्चितता और हिंसा से जूझ रही है। ऐसे हालात में जनता की आवाज़ को फिर से सत्ता में प्रतिनिधित्व देना जरूरी है।
यह घटनाक्रम मणिपुर की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, जहां केंद्र सरकार पर निर्णायक कदम उठाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
What's Your Reaction?






