अनुज चौधरी जिसने संभल में दंगाइयों की निकाल दी हेकड़ी...
अनुज चौधरी उत्तर प्रदेश पुलिस में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए थे. संभल में उपद्रवियों को सिखाया कानून का पाठ.. Agenda India

जब 8000 से ज्यादा मुस्लिम उन्मादी भीड़ 35 पुलिस कर्मियों को चारो तरफ से घेर ले, और वो भीड़ पत्थरबाजी करते हुए उन सुरक्षाकर्मियों को जान से मारने पर उतारू हो और उसी दौरान उपद्रवियों को काबू करने की कोशिश में जब अराजक तत्वों के द्वारा गोली चलायी जाती हो और वो गोली dsp अनुज चौधरी के पैर में लगने के बाद अगर उनका ये बयान आता हैं की पुलिस को भी आत्मरक्षा का अधिकार है, पुलिसकर्मी मरने के लिए पुलिसबल में भर्ती नहीं हुए. पुलिसकर्मियों के भी बच्चे और परिवार हैं. और क्या पुलिस को अपने आत्मरक्षा का अधिकार नहीं हैं?
तो उसके बाद फिर पूरे लेफ्ट लिबरल के द्वारा सोशल मीडिया पर विधवा विलाप शुरू हो गया की कोई पुलिस अधिकारी ऐसा बयान कैसे दें सकता हैं?
और खासकर समजवादी नेताओं के द्वारा लगातार अनुज चौधरी को निशाना बनाया जा रहा है, और समाजवादियों की खुन्नस अनुज चौधरी से बहुत पुरानी हैं क्यूंकि
जब चौधरी की तैनाती रामपुर में थी,तब सपा नेता आजम खान से भी उनकी काफी बहस हुई थी. सपा प्रतिनिधि मंडल के साथ मुरादाबाद कमिश्नर से मिलने के लिए आजम खान निकले थे, कि तभी सीओ सिटी रहते अनुज चौधरी ने साफ साफी कह दिया था कि केवल 27 लोग ही भीतर जाएंगे. इतना सुनते ही आजम खान अपना आपा खो बैठे और अनुज चौधरी को हिदायत देते हुए कहा की समाजवादियों ने ही पहलवानों को पहचाना था. आजम खान ने ये तक कह दिया कि अखिलेश का एहसान याद है या नहीं . बस इतना सुनना था कि अनुज चौधरी ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि एहसान कैसा? अर्जुन अवार्ड मिला है और अर्जुन अवार्ड किसी के एहसान से नहीं मिलता.
और आपको बताते चले की मुजफ्फरनगर के बहेड़ी गांव के रहने वाले अर्जुन अवॉर्डी अनुज चौधरी उत्तर प्रदेश पुलिस में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए थे. और साल 2002 और 2010 के नेशनल गेम्स में दो सिल्वर मेडल जीते थे, और इसके साथ ही एशियाई चैंपियनशिप में भी दो कांस्य पदक अनुज चौधरी ने अपने नाम कर लिया है.
पुलिस फोर्स में अपनी मजबूत कद काठी से लेकर बॉडी फिटनेस और बेधड़क अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले अनुज चौधरी पर अगर पूरा लेफ्ट इको-सिस्टम सवाल उठाये जाहिर सी बात हैं गुंडो और अपराधियों का महिमामंडन करने वाले लोगों को एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर के ईमानदारी रास नहीं आ रही है
और ऐसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका कितनी कठिन होती है, और ऐसे पुलिस अधिकारी का समर्थन और सम्मान करना हमारा कर्तव्य है, राजनीति और वैचारिक लड़ाइयों से परे, हमें यह देखना चाहिए कि न्याय और कानून का पालन कैसे हो।
डीएसपी अनुज चौधरी जैसे अधिकारी, जो साहस और निष्ठा के साथ अपना काम कर रहे हैं, उन्हें बिना किसी दबाव के अपना कर्तव्य निभाने का मौका मिलना चाहिए, और समाज को चाहिए कि वह ऐसे अधिकारियों का मनोबल बढ़ाए, न कि अनावश्यक विवादों में उन्हें उलझाए।
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