बांग्लादेश और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में लगातार खटास आती जा रही है। कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) द्वारा भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों (Seven Northeastern States) को "लैंडलॉक्ड" बताते हुए चीन को क्षेत्र में विस्तार का न्योता दिए जाने पर विवाद गहराता जा रहा है। भारत सरकार ने यूनुस के इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है।
मोहम्मद यूनुस का विवादित बयान
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस हाल ही में चीन की चार दिवसीय यात्रा पर थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से मुलाकात की और जल प्रबंधन सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इसी बीच यूनुस का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह भारत विरोधी टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं।
यूनुस ने अपने बयान में कहा कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य पूरी तरह से लैंडलॉक्ड हैं और उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश ही इस क्षेत्र के लिए महासागर तक पहुंच का एकमात्र संरक्षक है। उन्होंने चीन को बांग्लादेश में निवेश बढ़ाने का सुझाव दिया और कहा कि यह क्षेत्र चीनी अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इसके अलावा, यूनुस ने चीन से 50 वर्षीय जल प्रबंधन मास्टर प्लान (50-Year Master Plan on Water Management) की मांग की, जिसमें तीस्ता नदी (Teesta River) पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश की जल समस्या केवल तीस्ता नदी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे नदी तंत्र में सुधार की आवश्यकता है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
यूनुस के इस बयान पर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों और सरकार के आर्थिक सलाहकारों ने कड़ा विरोध जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल (Sanjeev Sanyal) ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लैंडलॉक्ड होने से चीन के बांग्लादेश में निवेश का क्या संबंध है?
रक्षा विशेषज्ञ ध्रुव काटोच (Dhruv Katoch) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूनुस को भारत को इस चर्चा में घसीटने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार कलादान परियोजना (Kaladan Project) के माध्यम से समुद्री संपर्क स्थापित करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है।
बांग्लादेश-चीन के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी
यूनुस की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक समझौतों पर चर्चा हुई। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
यारलुंग ज़ंगबो-जमुना नदी (Yarlung Zangbo-Jamuna River) पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने का समझौता।
मोंगला पोर्ट (Mongla Port) के आधुनिकीकरण के लिए चीन द्वारा $400 मिलियन का निवेश।
चटगांव में चीनी औद्योगिक क्षेत्र (CEIZ) के विकास के लिए $350 मिलियन का फंड।
यूनुस के इस बयान और चीन-बांग्लादेश की बढ़ती निकटता को भारत के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।