इंग्लैंड में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियाँ: भारतीय तिरंगे के अपमान पर कब लगेगी लगाम?

नई दिल्ली: अमेरिका और कनाडा के बाद अब इंग्लैंड में भी खालिस्तानी गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं, जिससे भारत की चिंताएँ बढ़ गई हैं। हाल ही में इंग्लैंड में भारतीय दूतावास और अन्य स्थानों पर भारतीय तिरंगे के अपमान की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे न केवल भारतीय समुदाय में रोष है, बल्कि भारत सरकार भी सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है।
खालिस्तानी तत्वों की बढ़ती सक्रियता
ब्रिटेन में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन, झंडे फाड़ने और भारत विरोधी नारेबाजी जैसी घटनाएँ पहले भी हो चुकी हैं। हाल ही में लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तानी समर्थकों ने फिर से उग्र प्रदर्शन किया, जिससे एक बार फिर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की गई।
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटनाएँ सामने आई हैं। पिछले साल भी लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला किया गया था, जिसमें कुछ उपद्रवियों ने भारतीय झंडे को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की थी। तब भारत सरकार ने ब्रिटेन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन ऐसी घटनाएँ दोबारा होना दर्शाता है कि ब्रिटिश प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है और ब्रिटिश प्रशासन से स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसी गतिविधियों को रोका जाए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर ब्रिटेन से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत अपनी संप्रभुता के प्रति पूरी तरह सजग है और हम इस तरह की किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम ब्रिटिश प्रशासन से अपेक्षा करते हैं कि वह खालिस्तानी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करे और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों पर लगाम लगाए।”
ब्रिटेन की ढुलमुल नीति
ब्रिटेन में खालिस्तानी गतिविधियों के बढ़ने की एक बड़ी वजह वहाँ की सरकार का ढुलमुल रवैया भी है। अमेरिका और कनाडा की तरह ब्रिटेन भी खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से बचता दिख रहा है। ब्रिटेन में कई खालिस्तानी संगठनों को खुली छूट मिली हुई है, जो भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं और लोगों को भड़काते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन में कई राजनीतिक दल खालिस्तानी समर्थकों के वोट बैंक के कारण उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से बचते हैं। लेकिन भारत के साथ मजबूत कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को देखते हुए ब्रिटेन को इस मुद्दे पर सख्ती दिखानी होगी।
भारतीय समुदाय में बढ़ता रोष
ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी इन घटनाओं से आहत हैं। लंदन, बर्मिंघम और अन्य शहरों में भारतीय समुदाय ने इस तरह की हरकतों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है और ब्रिटिश प्रशासन से मांग की है कि वह खालिस्तानी गतिविधियों पर रोक लगाए।
लंदन में रहने वाले एक भारतीय नागरिक ने कहा, “हम यहाँ शांति से रहना चाहते हैं, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों की हरकतें हमें असुरक्षित महसूस कराती हैं। ब्रिटिश सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
क्या करेगा भारत?
भारत अब इन घटनाओं को लेकर ज्यादा सख्त होता नजर आ रहा है। हाल ही में भारत ने कनाडा के साथ भी खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने के मुद्दे पर तीखी बहस की थी और अब ब्रिटेन से भी इसी तरह की सख्ती की उम्मीद की जा रही है।
विश्लेषण का मानना है कि यदि ब्रिटेन इस मामले में ढिलाई दिखाता है, तो भारत व्यापारिक और कूटनीतिक स्तर पर दबाव बना सकता है।
खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं, जिससे भारतीय तिरंगे का अपमान किया जा रहा है। अमेरिका, कनाडा और अब ब्रिटेन में इस तरह की घटनाएँ भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश हैं। ऐसे में भारत को कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर और अधिक सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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