भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में एक बार फिर से बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इस बार मुद्दा राजनीति से ज्यादा व्यापार का है। भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों को अपने बाजार में प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे अमेरिका की कृषि कंपनियों में हड़कंप मच गया है। खासकर अमेरिका के सेब, बादाम, सोयाबीन और डेयरी उत्पादों को लेकर भारत के इस फैसले ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है।
भारत ने ऐसा क्यों किया?
दरअसल, भारत हर साल अमेरिका से करीब 1.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद आयात करता था। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा बादाम (700 मिलियन डॉलर), डेयरी उत्पाद (500 मिलियन डॉलर) और सेब-अंगूर (200 मिलियन डॉलर) का था। लेकिन अमेरिका ने हमेशा भारत को अपनी कंपनियों के उत्पाद बेचने की कोशिश की, जबकि भारतीय किसान पहले से ही इनका उत्पादन कर रहे थे। इससे भारतीय कृषि उद्योग पर सीधा असर पड़ रहा था।
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत सरकार ने विदेशी कृषि उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का फैसला किया ताकि भारतीय किसानों को नुकसान न हो। इसके तहत:
✅ अमेरिकी सेब और बादाम पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई।
✅ डेयरी उत्पादों पर सख्त नियम लागू कर दिए गए।
✅ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक टैरिफ बढ़ा दिया गया।
अमेरिका को क्यों चुभ गया भारत का यह फैसला?
भारत और अमेरिका के व्यापारिक आंकड़ों को देखें तो 2023 में भारत ने अमेरिका को 87 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से केवल 41 अरब डॉलर का सामान खरीदा। यानी भारत ने अमेरिका से 46 अरब डॉलर ज्यादा कमाया। अमेरिका को यह व्यापार घाटा पसंद नहीं आया, इसलिए उसने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में शिकायत दर्ज करा दी।
क्या होगा आगे?
अमेरिका अब भारत पर दबाव बना सकता है, लेकिन भारत अपने किसानों और घरेलू बाजार को मजबूत करने की रणनीति पर कायम है। अगर दोनों देशों में व्यापार को लेकर तनाव बढ़ता है, तो यह एक बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत भी हो सकती है।