बिहार में ओवैसी का खेल खत्म? BJP के मास्टरस्ट्रोक से मचेगी हलचल!

नई दिल्ली: बिहार की राजनीति में इफ्तार पार्टियों का खास महत्व रहा है। चुनाव से पहले ये पार्टियां राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ देने का काम करती हैं। इस बार भी रमज़ान के मौके पर सभी दल इफ्तार के बहाने वोटरों को साधने में जुटे हैं।
लालू प्रसाद यादव से लेकर चिराग पासवान तक, सभी ने अपनी-अपनी इफ्तार पार्टियां आयोजित कीं। लेकिन भाजपा ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक चला है, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। भाजपा पहली बार देशभर के 32 लाख गरीब मुसलमानों को 'सौगात-ए-मोदी' किट देने जा रही है। इसमें सेवइयां, ड्राई फ्रूट्स, कपड़े और ईद से जुड़े अन्य सामान होंगे। यह कदम बिहार चुनाव से पहले बड़ा सियासी संदेश देता है।
BJP के मास्टरस्ट्रोक से AIMIM की मुश्किलें बढ़ीं?
बिहार में 18-20% मुस्लिम वोटर हैं, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अब तक लालू यादव की राजद (RJD) इस वोटबैंक पर मजबूत पकड़ रखती थी, लेकिन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की थी। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 5 सीटें जीती थीं। हालांकि, 2022 में इनमें से 4 विधायक RJD में शामिल हो गए, जिससे AIMIM की ताकत घटकर 1 विधायक तक सीमित रह गई।
अब भाजपा के सौगात-ए-मोदी किट अभियान से ओवैसी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। AIMIM का आधार पहले ही कमजोर हो चुका है, और भाजपा का यह कदम मुस्लिम समुदाय के बीच एक नई छवि बनाने की कोशिश है।
बिहार में BJP का चुनावी समीकरण
भाजपा का यह कदम सीधा चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी 32 हजार मस्जिदों से संपर्क में है, और 32 लाख मुसलमानों तक यह किट पहुंचाने की योजना है। इससे भाजपा उन गरीब मुस्लिम वोटरों तक पहुंच बना सकती है, जो अब तक पारंपरिक रूप से RJD या AIMIM को समर्थन देते आए थे।
लालू और ओवैसी की बेचैनी बढ़ेगी?
अगर भाजपा अपने इस अभियान से मुस्लिम वोटबैंक में थोड़ी भी सेंध लगाने में कामयाब होती है, तो यह लालू यादव और ओवैसी—दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। बिहार चुनाव में यह रणनीति किस हद तक असरदार होगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि भाजपा के इस मास्टरस्ट्रोक ने बिहार की राजनीति को और दिलचस्प बना दिया है।
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