शौर्य दिवस नायक...अगर कांग्रेसी गृहमंत्री के फोन से डर गए होते तो कल्याण सिंह तो कैसे बनता राम मंदिर..!

Dec 6, 2024 - 09:21
Dec 6, 2024 - 12:19
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शौर्य दिवस नायक...अगर कांग्रेसी गृहमंत्री के फोन से डर गए होते तो कल्याण सिंह तो कैसे बनता राम मंदिर..!

6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के अवैध ढांचे को गिराया गया था, उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह हुआ करते थे...ये हिंदू ह्रदय ऊर्जा से ओतप्रोत कल्याण सिंह ही थे जिनकी तात्कालिक अडिगता से बाबरी का अवैध ढांचा गिराया गया और आज वहां पर भव्य राम मंदिर बन सका है।

बात है उस वक्त की जब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और उस समय पूरे देश में राम जन्मभूमि का आंदोलन अपने चरम पर था ऐसे में 1992 दिसंबर महीने में लाखों कारसेवक अयोध्या में जमा हुए.. उस पूरे आंदोलन को विश्व हिंदू परिषद , लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटिहार जैसे नेता लीडरशिप ले रहे थे और तब मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह ने साफ तौर पर अधिकारियों को आदेश दिए थे कि आपको जो करना है कीजिए.. मगर कार सेवकों पर किसी तरह से कोई भी गोली नहीं चलाई जाएगी..

यह कल्याण सिंह का ही आदेश था जिसके चलते कार सेवक निर्भीक होकर आगे बढ़ते रहे और रामसेवकों में आक्रोश इतना बढ़ गया कि उन्होंने बाबरी के गुंबदों को ढहा दिया मगर किसी भी अधिकारी ने किसी भी कार सेवक पर कोई भी गोली नहीं चलाई जबकि इससे पहले के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के समय में कार सेवको पर पुलिस द्वारा सरेआम गोलियां चलाई गई थी जिसमें सरयू का पानी तक लाल हो गया था।

जिस समय बाबरी ढहाई जा रही थी उसी समय कल्याण सिंह पर कांग्रेस के गृहमंत्री का फोन आया और उन्होंने कहा हमें खबर मिली है की बाबरी के गुंबद पर कार सेवक चढ़ गए हैं तब बिना डरे कल्याण सिंह ने ललकार कर कहा कि महज चढ़े नहीं है बल्कि एक गुंबद को ढहा भी दिया है...कल्याण सिंह ने केंद्र की कांग्रेस सरकार को साफ कर दिया कि आप कितना भी कहिए मगर किसी भी कीमत पर हम रामसेवको पर गोली नहीं चलायेएंगें।

कल्याण सिंह का ये हिम्मतभरा जवाब सुनकर कांग्रेस आलाकमान दंग रह गया और कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया...बाद के इंटरव्यू में कल्याण सिंह ने साफ कहा कि सरकार जाने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है..बल्कि राम मंदिर के लिए ऐसी 100 सरकार कुर्बान की जा सकती हैं।

कल्याण सिंह हमेशा गरज कर कहते रहे कि बाबरी विध्वंस का उन्हें कोई अफसोस, पछतावा नहीं है बल्कि उनके लिए ये हमेशा गर्व का विषय रहा है..सोचिए मुख्यमंत्री रहते हुए यदि कल्याण सिंह ने अधिकारियों को काबू में नहीं रखा होता और सत्ता के लालच में कांग्रेस दबाव से डर गए होते तो क्या बाबरी विध्वंस होता? क्या भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होता? ऐसे में जब भी 6 दिसम्बर आये तो शौर्य दिवस मनाते समय कल्याण सिंह जी को नमन करना न भूलें।

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