पीएम मोदी की थाईलैंड और श्रीलंका यात्रा: बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भागीदारी और द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छठे 'बिम्सटेक' (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड रवाना हो गए हैं। इस सम्मेलन के बाद, वे श्रीलंका की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। यह यात्रा भारत के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की अहमियत
बिम्सटेक, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख मंच है। इस सम्मेलन की थीम "बिम्सटेक - समृद्ध, लचीला और खुला" रखी गई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार, निवेश, संपर्क और मानव सुरक्षा को मजबूत करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण इस संगठन के केंद्र में है, जिससे इस पहल का सीधा लाभ भारत को मिलता है।
थाईलैंड में द्विपक्षीय वार्ताएँ
थाईलैंड पहुंचने पर, प्रधानमंत्री मोदी अपने समकक्ष पैतोंगटार्न शिनावात्रा से मिलकर द्विपक्षीय सहयोग को लेकर चर्चा करेंगे। साथ ही, वे थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न से भी मुलाकात करेंगे। यह उनकी थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगी और 2018 के बाद पहला व्यक्तिगत बिम्सटेक शिखर सम्मेलन होगा।
श्रीलंका की राजकीय यात्रा
बिम्सटेक सम्मेलन में भाग लेने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी 4-6 अप्रैल तक श्रीलंका की राजकीय यात्रा करेंगे। यह यात्रा नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के निमंत्रण पर हो रही है। मोदी ने कहा कि वे इस अवसर का उपयोग भारत-श्रीलंका संबंधों की समीक्षा करने और सहयोग के नए अवसर तलाशने में करेंगे। श्रीलंका भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है, और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध बहुत गहरे हैं।
यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत बिम्सटेक देशों के साथ मिलकर व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
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