रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी सुखोई जेट इंजन निर्माण की ओर बड़ा कदम

Mar 15, 2025 - 17:10
Apr 3, 2025 - 13:52
 0  12
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी सुखोई जेट इंजन निर्माण की ओर बड़ा कदम

भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के लिए एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने हाल ही में भारतीय वायुसेना को पहला स्वदेशी रूप से निर्मित AL-31FP इंजन सौंपा है। यह वही इंजन है जो सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होता है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से भारत अब लड़ाकू विमानों के इंजन निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा चुका है।

230 सुखोई जेट इंजनों का भारत में निर्माण

HAL ने भारत में ही 230 AL-31FP इंजन के निर्माण की योजना बनाई है। यह इंजन भारत में सुखोई-30MKI विमानों को शक्ति प्रदान करेगा, जो कि भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते हैं। इस परियोजना के तहत विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम होगी और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

AL-31FP इंजन: विशेषताएँ और महत्व

AL-31FP इंजन एक शक्तिशाली टर्बोफैन इंजन है, जिसे खासतौर पर सुखोई-30MKI के लिए विकसित किया गया है। इसके कुछ प्रमुख फीचर इस प्रकार हैं:

थ्रस्ट वेक्टरिंग टेक्नोलॉजी: इससे विमान को हवा में बेहतरीन गतिशीलता मिलती है।

सुपीरियर परफॉर्मेंस: यह इंजन लड़ाकू विमानों को अधिकतम गति और ऊँचाई पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करता है।

स्वदेशी निर्माण: HAL द्वारा निर्मित इंजन भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करेगा और विदेशी सप्लाई चेन पर निर्भरता कम करेगा।


आत्मनिर्भर भारत और रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

भारतीय रक्षा मंत्रालय लगातार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उपकरणों के निर्माण पर जोर दे रहा है। HAL द्वारा स्वदेशी इंजन निर्माण की यह पहल Make in India अभियान को और मजबूती देगी।

इससे क्या लाभ होंगे?

1. तकनीकी आत्मनिर्भरता: भारत अब लड़ाकू विमान इंजनों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहेगा।


2. रक्षा क्षेत्र में रोजगार: HAL में इंजन निर्माण से हजारों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।


3. विदेशी मुद्रा की बचत: भारत अब महंगे विदेशी इंजन आयात करने के बजाय अपने स्वयं के इंजन विकसित करेगा, जिससे अरबों रुपये की बचत होगी।


4. रणनीतिक मजबूती: यह भारत को किसी भी आपातकालीन स्थिति में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति बनाए रखने में मदद करेगा।

भविष्य की राह: स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन निर्माण

HAL की इस उपलब्धि के बाद भारत का अगला लक्ष्य पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन विकसित करना है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पहले से ही GTRE GTX-35VS "कावेरी" इंजन पर काम कर रहा है, जिसे भविष्य में स्वदेशी लड़ाकू विमानों में उपयोग किया जाएगा।

230 AL-31FP इंजनों का स्वदेशी निर्माण भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह कदम भारतीय वायुसेना की ताकत को और अधिक बढ़ाएगा और Make in India अभियान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। आने वाले वर्षों में, भारत पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन विकसित कर एक नई तकनीकी क्रांति लाने के लिए तैयार है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow