सीलमपुर के ब्रह्मपुरी इलाके में अल-मतीन मस्जिद के निर्माण को लेकर हाल ही में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी मस्जिद के लिए धन कहां से आ रहा है? इस मस्जिद के लिए ₹40 लाख की जमीन दान करने वाले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को देखते हुए संदेह गहरा हो गया है। बताया जा रहा है कि जमीन दान करने वाला व्यक्ति जूते-चप्पल की दुकान चलाता है, जिससे इतनी बड़ी रकम का इंतजाम कर पाना मुश्किल लगता है।
विदेशी फंडिंग का शक
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मस्जिद के निर्माण में विदेशी फंडिंग की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अक्सर देखा गया है कि देशभर में कई धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए विदेशों से पैसे भेजे जाते हैं, और इसमें कई बार गैरकानूनी तरीके भी अपनाए जाते हैं।
फंडिंग के स्रोतों की जांच जरूरी
अगर अल-मतीन मस्जिद के निर्माण में विदेशी फंडिंग का मामला सामने आता है, तो यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर विषय हो सकता है।
सरकार और प्रशासन को इस मामले की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मस्जिद के लिए धन कहां से आ रहा है और क्या यह किसी गैरकानूनी गतिविधि से जुड़ा हुआ तो नहीं है।
अल-मतीन मस्जिद की फंडिंग को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब मिलना बेहद जरूरी है। अगर यह धनराशि पारदर्शी और सही तरीके से आई है, तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर इसमें कोई अवैध विदेशी फंडिंग शामिल है, तो यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील बन जाता है। प्रशासन को इस विषय पर गहन जांच कर सच्चाई को सामने लाना चाहिए।