बिहार में धर्मांतरण को लेकर एक नया विवाद सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ संगठनों द्वारा नौकरी, कॉलेज में एडमिशन और अच्छी जॉब का लालच देकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस तरह की गतिविधियां कई जिलों में देखी गई हैं, जिससे समाज में चिंता का माहौल बन गया है।
धर्मांतरण के नए तौर-तरीके
पहले जहां धर्मांतरण के मामले आर्थिक या सामाजिक दबाव के कारण होते थे, वहीं अब युवाओं को उच्च शिक्षा और रोजगार के नाम पर दूसरे धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई मामलों में गरीब परिवारों के बच्चों को टारगेट किया जाता है और उन्हें अच्छी शिक्षा, छात्रवृत्ति और नौकरी का वादा किया जाता है।
कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों की भूमिका?
सूत्रों के मुताबिक, कुछ कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों में छात्रों को गुप्त रूप से धर्मांतरण के लिए उकसाया जाता है। उन्हें विशेष सुविधाएं देने का प्रलोभन दिया जाता है। कई बार यह भी देखने को मिला है कि विदेशों से फंडिंग पाने वाले कुछ संगठन इस तरह की गतिविधियों में शामिल होते हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। कई जगहों पर धर्मांतरण की खबरें सामने आने के बावजूद, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अगर जल्द ही इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह सामाजिक असंतुलन का बड़ा कारण बन सकता है।
समाज को रहना होगा सतर्क
बिहार में धर्मांतरण का यह नया तरीका युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर सकता है। ऐसे में अभिभावकों, समाज और प्रशासन को मिलकर सतर्क रहने की जरूरत है। युवाओं को भी समझना होगा कि लालच में आकर धर्म परिवर्तन करना उनके मूल अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ जा सकता है।
अगर यह खेल इसी तरह चलता रहा, तो आने वाले समय में इसके गंभीर सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।