हिन्दू मंदिर -जो रहा है सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु

Dec 17, 2024 - 13:56
Dec 19, 2024 - 15:47
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हिन्दू मंदिर -जो रहा है सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु

पिछले कई हजार सालो से हिन्दू मंदिर सनातनियो के लिए आस्था का केंद्रबिंदु बना हुआ है ,हिन्दू समुदाय के कई प्रमुख गतिविधियों का संचालन मुख्य रूप से मंदिरों से ही अनादिकाल से किया जाता रहा है 
शिक्षा ,कला ,मूर्तिकला ,वास्तुकला ,संगीत ,साहित्य,कविता और कहानियो का सृजन और प्रचार-प्रसार भी मंदिरों से ही किया जाता था,

ज्यादातर वाद-विवाद का निपटारा भी मंदिर प्रांगन में किया जाता था ,यहां तक की सुख और दुःख दोनों प्रकार के व्यक्तिगत और पारिवारिक समारोह भी मंदिर परिसर में आयोजित किये जाते थे ,
अगर साफ शब्दों में कहा जाय तो हिन्दुओ के जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा और महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र मंदिर ही हुआ करता था ,

और इन सभी व्यवस्थाओ को सुचारू रूप से चलाने के लिए तथा संस्थान को मजबूती प्रदान करने के लिए मंदिर में भक्तो और श्रद्धालुओ के द्वारा भारी मात्रा में धन-दौलत और सम्पति चढ़ावे के रूप में प्रदान की जाती थी 
लेकिन पिछले कई सालो से सरकारों के द्वारा मंदिरो को नियंत्रित करने की कोशिश में ये सभी गतिविधयां लगभग समाप्त हो गयी है ,

और दुर्भाग्य से सरकार के कुप्रबंधन के कारण मंदिरों को प्रदान की हुई भूमि और अन्य संपति को साजिशन षड्यंत्रों के तहत मंदिरों से लूट ली गयी जिसके कारण कई लाख करोड़ की अचल संपत्तियां अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चली गयी है,

आपको बताते चले की 1929 से ही हिन्दू मंदिर और अनेक धार्मिक संस्थान कई राज्यों के सरकारी नियंत्रण में है ,तब से लेकर अभी तक राज्य विशेष और मंदिर विशेष के लिए कई प्रकार के अनेक कानून बनाकर हिन्दू मंदिरों पर से हिन्दू समाज का अधिकार सरकार ने अपने हाथो में लिया है,

और आश्चर्यजनक रूप से मंदिरों के ऊपर लागू किये गये इन सभी कानूनो की जो व्याख्यान न्यायालय के द्वारा की गयी है उसके अनुसार हिन्दुओ को मंदिर के मामले में संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार और भी कम कर दिए गये है,

और हिन्दू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण का सबसे गंभीर दुष्परिणाम ये निकला की हिन्दू समुदाय अपने मठ-मंदिरों से दूर होते चले गये जिसके कारण हिन्दुओ को एकजुट रखने वाला बंधन भी कमजोर हुआ है ,

और बात अगर हिन्दू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण कि की जाय तो इसकी शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा 1817 में मद्रास विनियमन एक्ट 1817 लाकर किया गया,लेकिन इस अधिनियम को  36 वर्षो के बाद 1863 में वापस लेकर मंदिरों को वापस हिन्दू समुदाय को सौप दिया गया ,

लेकिन फिर पुनः 1925 में अंग्रेजी शासन के द्वारा हिन्दू मंदिरों पर नियंत्रण के लिए नये कानून का मसौदा तैयार किया गया , और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की 1925 का प्रारंभिक मसौदा अधिनियम मुस्लिम धार्मिक संस्थानों पर भी लागू होना था लेकिन मुस्लिम समुदाय के दवाब में मुस्लिम संस्थानों को अंतिम अधिनियम से बाहर कर दिया गया ,

और सबसे बड़ी बात तो यह है की इसी अधिनियम के तहत तिरुपति ,मदुरै,पज़ानी,तिरुमन्नामलाई,तिरुवरुर ,श्रीरंगम सहित दक्षिण भारत के लगभग 50 से अधिक बड़े मंदिरों को सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया ,
1929 के मद्रास अधिनियम से प्रेरित होकर ही सरकारों ने आज़ादी से पहले ही वैष्णो देवी मंदिर ,काशी विश्वनाथ ,नाथद्वारा ,श्रीनाथजी समेत अनेक बड़े मंदिरों को अपने कब्जे में ले लिया ,

और आज़ादी के बाद भी यह सभी मंदिर अभी तक सरकारी नियंत्रण में है |

दक्षिण भारत के चार राज्य आंध्र-प्रदेश ,तेलंगना ,तमिलनाडु और कर्नाटक में 19,000 से अधिक हिन्दू मंदिरों के 10 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि और कई हजार आवासीय एवं व्यावसायिक भवन है ,जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 20 लाख करोड़ रुपए है |

अगर देखा जाय तो इन सम्पतियो से कुल आय प्रतिवर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपए से अधिक होनी चाहिए ,लेकिन आप को यह जानकर हैरानी होगी की मात्र 400 करोड़ रुपए ही मंदिरों के पास 'आय' के रूप में जमा हो पाते है ,और इसे इकठ्ठा करने के बाद सरकार के द्वारा मंदिर से वार्षिक शुल्क के नाम पर उनकी सालाना आय का 12 से 21 % और ऑडिट शुल्क 4 % से अधिक वसूला जाता है,

केरल में सभी मंदिरों की जमीने सरकार के द्वारा ले ली गयी है और इसके बदले सरकार के द्वारा मंदिरों को वार्षिक भत्ता दिया जाता है ,श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की 17,500 एकड़ कृषि भूमि के लिए सरकारी भत्ता मात्र 47,500 रुपए प्रतिवर्ष है  ,कई मंदिरों की हजारो एकड़ जमीने अवैध रूप से बेचीं गयी है ,
1986 से 2017 के बीच तमिलनाडु में 47,000 एकड़ और आंध्र-प्रदेश / तेलंगना में करीब 25,000 एकड़ जमीन का कुछ अता-पता नही है ,

और अभी हालात तो यह है बहुत ही कम मात्राओ में वेद पाठशालाए ,गौशालाए ,तालाब,नन्दवनम और मंदिर बची हुई है ,

इसलिए अपनी परम्परा ,संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए हिन्दुओ को एक साथ आना होगा और अपनी विरासत को पुनः प्राप्त करना होगा |

इसके लिए यह आवश्यक है कि हिंदुओं को अपनी मंदिरों को सरकार से वापस प्राप्त करना होगा ताकि उसका कायाकल्प करके उस मंदिर की सभ्यता, और संस्कृति को अपनी आने वाली पीढियों तक पहुंचा सके|

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