नक्सली हिंसा में आई ऐतिहासिक गिरावट, नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौतों में 85% की कमी

नई दिल्ली, 26 मार्च (हि.स.) – भारत में नक्सली हिंसा पर निर्णायक प्रहार करते हुए सरकार ने इसे ऐतिहासिक रूप से कम करने में सफलता हासिल की है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जानकारी दी कि 2010 की तुलना में 2024 तक नक्सली हिंसा में 81% की कमी आई है, जबकि नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौतों की संख्या 85% कम हो गई है।
राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना का असर
वामपंथी उग्रवाद (LWE) से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में 'राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना' को मंजूरी दी थी। इस नीति में सुरक्षा, विकास, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और शासन को मजबूत करने पर जोर दिया गया था। नतीजतन, 2010 में जहां 1936 हिंसक घटनाएं हुई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या 374 रह गई है। इसी तरह, 2010 में नक्सली हिंसा से 1005 मौतें हुई थीं, जबकि 2024 में यह संख्या 150 तक गिर गई।
गत वर्षों में भी गिरावट जारी
2019 में 501 हिंसक घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2024 में घटकर 374 रह गईं (25% की कमी)।
2019 में 202 मौतें हुई थीं, जबकि 2024 में यह संख्या 150 रह गई (26% की कमी)।
सुरक्षा बलों की आक्रामक कार्रवाई
मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2022 और 2023 में नक्सली हिंसा में अस्थायी वृद्धि देखी गई थी, जिसका कारण सुरक्षा बलों द्वारा माओवादी गढ़ों में प्रवेश कर सघन ऑपरेशन चलाना था।
नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2018 में 126 थी, जो 2024 में घटकर 38 रह गई।
केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 3260.37 करोड़ रुपये जारी किए गए।
226 नए फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया गया।
विकास योजनाओं से बदली तस्वीर
सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को प्राथमिकता दी, जिससे उग्रवाद के खिलाफ मजबूत माहौल बना।
14,618 किमी सड़कों का निर्माण कर गांवों को जोड़ा गया।
7,768 दूरसंचार टावर स्थापित कर संचार व्यवस्था बेहतर की गई।
46 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) और 49 कौशल विकास केंद्र खोले गए।
178 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) शुरू किए गए।
5731 नए डाकघर, 1007 बैंक शाखाएं और 937 एटीएम खोले गए।
3563 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) जारी की गई।
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक जीत की ओर
सरकार की बहुआयामी रणनीति और ठोस नीतियों के चलते नक्सली हिंसा अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। सुरक्षा बलों के सतत प्रयास और विकास परियोजनाओं के चलते अब नक्सलवाद का सफाया लगभग तय माना जा रहा है।
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