ISRO की नई उपलब्धि: LVM3 के लिए सेमी-क्रायोजेनिक इंजन बनाने में मिली बड़ी सफलता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2,000 केएन (किलोन्यूटन) के उच्च थ्रस्ट वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह इंजन प्रक्षेपण यान 'मार्क-3' (LVM3) के सेमी-क्रायोजेनिक बूस्टर चरण में सहायता करेगा।
28 मार्च को हुआ पहला सफल हॉट टेस्ट
ISRO ने 28 मार्च को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित ISRO प्रणोदन परिसर में इंजन पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) का पहला हॉट परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
2.5 सेकंड की परीक्षण अवधि
शुक्रवार को किए गए इस परीक्षण में 2.5 सेकंड की अवधि तक इंजन के सुचारू इग्निशन और बूस्ट स्ट्रैप मोड संचालन का प्रदर्शन किया गया। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य 2.5 सेकंड की हॉट-फायरिंग के माध्यम से प्री-बर्नर, टर्बो पंप, स्टार्ट सिस्टम और नियंत्रण घटकों जैसी महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों के प्रदर्शन को प्रमाणित करना था।
सभी मापदंड उम्मीद के मुताबिक
ISRO के अनुसार, यह परीक्षण पूरी तरह से पूर्वानुमान के अनुसार हुआ और इंजन के सभी मापदंड अपेक्षित परिणामों के अनुरूप रहे। इस सफलता के साथ, ISRO पूरी तरह से एकीकृत इंजन के निर्माण से पहले PHTA पर कई और परीक्षण करने की योजना बना रहा है ताकि इसके प्रदर्शन को और अधिक प्रमाणित और परिष्कृत किया जा सके।
भविष्य के प्रक्षेपण यानों को मिलेगा बल
ISRO के द्रव्य प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) द्वारा विकसित किया जा रहा 2,000 केएन सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) LVM3 के वर्तमान कोर लिक्विड स्टेज (L110) को प्रतिस्थापित करेगा। यह भविष्य के प्रक्षेपण यानों के बूस्टर चरणों को अधिक शक्ति प्रदान करेगा।
सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली गैर-विषैले और गैर-खतरनाक प्रणोदकों (तरल ऑक्सीजन और मिट्टी का तेल) का उपयोग करती है, जिससे यह मौजूदा L110 स्टेज की तुलना में अधिक कुशल साबित होती है।
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