मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की सिंचाई समस्याओं को हल करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बताया कि जल संसाधन विभाग एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग के प्रयासों से सिंचाई का क्षेत्रफल 50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। अगले दो वर्षों में यह 65 लाख हेक्टेयर और पांच वर्षों में 100 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
सिंचाई परियोजनाओं का विकास
प्रदेश में 25 वृहद, 114 मध्यम एवं 5,692 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा 42 वृहद, 68 मध्यम और 381 लघु परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिन पर लगभग ₹89,030 करोड़ का खर्च किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से 10 लाख 61 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित हो चुकी है, और आने वाले समय में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र और जोड़ा जाएगा।
केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना
केन-बेतवा नदी लिंक राष्ट्रीय परियोजना को भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना के रूप में स्वीकार किया है। यह परियोजना ₹44,605 करोड़ की लागत से तैयार की जा रही है, जिससे बुंदेलखंड के 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 44 लाख लोगों को पेयजल सुविधा मिलेगी।
मध्यप्रदेश-राजस्थान नदी लिंक परियोजना
इसके अलावा, पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है। ₹72,000 करोड़ की इस योजना में मध्यप्रदेश की 19 सिंचाई परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इस परियोजना से गुना, शिवपुरी, मुरैना, उज्जैन, मंदसौर, देवास, इंदौर समेत 11 जिलों में 6.14 लाख हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
शिप्रा नदी संरक्षण योजना
900 करोड़ रुपये की लागत से कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना बनाई जा रही है, जिससे कान्ह नदी के दूषित जल को शिप्रा नदी में जाने से रोका जाएगा। इस योजना का लाभ 2028 के महाकुंभ में मिलेगा। इसके अलावा 615 करोड़ की लागत से शिप्रा नदी को अविरल प्रवाहमान बनाने का कार्य भी शुरू हो चुका है।
"अटल भू-जल योजना" से किसानों को राहत
अटल भू-जल योजना के तहत 6 जिलों के 9 विकासखंडों में भू-जल स्तर सुधारने के लिए कार्य किया जा रहा है। इससे भू-जल संकट कम होगा और किसानों को लाभ मिलेगा।
मध्यप्रदेश सरकार की इन योजनाओं से प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव होगा, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर आजीविका मिलेगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत और समृद्ध मध्यप्रदेश की दिशा में एक अहम प्रयास है।