1 लाख 20 हजार करोड़ के वक़्फ बोर्ड का खात्मा हैं जरुरी!

Dec 20, 2024 - 13:42
Dec 20, 2024 - 13:51
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1 लाख 20 हजार करोड़ के वक़्फ बोर्ड का खात्मा हैं जरुरी!

जरा आप सोचिये की जिस जमीन और घर को आपके पूर्वजो ने सदियों से सहेज कर रखा है ,जिस घर और जमीन के साथ आपकी असंख्य यादें जुडी हुई है ,उसी जमीन से आपको अचानक से बेदखल कर दिया जाय ,और रातो-रात उस जमीन पर एक बोर्ड लगा दिया जाये की अब इस जमीन पर किसी और का मालिकाना हक है ,
एवं आपको आपके ही संपति से बेदखल कर दिया गया है ,और आप अपने हक की आवाज़ कहीं भी उठा नही सकते ,क्यूंकि आपके संपति पर लगने वाला बोर्ड 'वक्फ बोर्ड' का है
और वक्फ बोर्ड के बेलगाम शक्तियों के आगे इस देश का कानून भी नतमस्तक है ,

तो आइये आपको बताते है की वक्फ बोर्ड क्या है, और आखिरकार वक्फ बोर्ड के पास इतनी बेलगाम शक्तियां आयी कैसे ?

तो आपको बताते चले की वक्फ बोर्ड  इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या इस्लाम के धर्मार्थ उद्देश्यों लिए विशेष रूप से समर्पित संपत्तियों को संभालने का काम करता है और एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद संपत्ति दान करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को ट्रांसफर हो जाती है और यह अपरिवर्तनीय होती है।  
अगर साफ शब्दों में कहा जाए तो वक़्फ़ बोर्ड वह बोर्ड है जिसमें सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम समुदाय के ही लोग शामिल होते हैं,और वक़्फ़ बोर्ड अपने ही द्वारा बनाए गए कानून का उपयोग करके किसी भी गैर मुस्लिम व्यक्ति या ट्रस्ट के संपत्ति को अल्लाह के नाम पर वक्फ  की संपत्ति घोषित कर देता है

और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की ऐसी घोषणा करने से पहले वक़्फ़ बोर्ड राज्य के प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है, जैसे कि उन व्यक्तियों को नोटिस देना जिनकी संपत्ति को वह वक्फ की संपत्ति घोषित करने जा रहे हैं
और ना ही ऐसी घोषणा के बाद वह ऐसी घोषणाओ को सार्वजनिक करने या आपत्ति मांगने के लिए बाध्य हैं
वक्फ बोर्ड द्वारा की जाने वाली पूरी कार्रवाई बंद दरवाजा के पीछे पूरी की जाती है, और उनकी घोषणा के बाद राज्य सरकार अधिकारिक राज्य पत्र में इसे अधिसूचित करने के लिए बाध्य है,
  
और वक्फ संपत्तियों की ऐसी घोषणाएं या विवरण या फिर जिस तरह से इन संपत्तियों को वक्फ  ने अपने अधिकार में लिया ,ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, वक़्फ़ बोर्ड या फिर राज्य सरकार की वेबसाइट पर भी ऐसा कोई विवरण नहीं दिया गया है |

आज वक्फ अधिनियम में संसोधन की जरुरत इसलिए भी पड़ रही है क्यूंकि पुराना अधिनियम किसी भी निष्कांत संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का विशेष अधिकार देती थी , आपको बताते चले की निष्कांत संपत्ति वो संपत्ति होते है ,जिस संपत्ति का कोई मालिक नही होता ,मतलब वैसी प्रॉपर्टी जिसका मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास नही है और न ही सरकार के अधीन वो संपत्ति आती है ,ऐसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना कब्ज़ा जमा लेती है |

 और आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे की सभी इस्लामी देशों में वक्फ संपत्तियां नहीं हैं, तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक जैसे इस्लामी देशों में वक़्फ़ बोर्ड है ही नही 
 लेकिन भारत में ना केवल सबसे बड़े शहरी भू-भाग का मलिकाना हक वक़्फ़ बोर्ड के पास है, बल्कि उनके पास कानूनी रूप से उनकी रक्षा करने के लिए एक विशेष अधिनियम भी है, 
वक़्फ़ बोर्ड वर्तमान में भारत में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, और जिसका अनुमानित मूल्य 1,20,000 करोड़ के आसपास है |

 हो सकता है कि आपको इस बात पर भरोसा ना हो, लेकिन सच्चाई तो यही है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी वक़्फ़ होल्डिंग देश है, इसके साथ ही वक़्फ़ बोर्ड भारत में सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन का मालिक है  ,
 लेकिन केंद्रीय वक़्फ़ परिषद या वक़्फ़ बोर्ड की वेबसाइट पर वक़्फ़ संपत्तियां उनके सीमाओं के उपयोग, निर्माता और प्रॉपर्टी के मालिक का कोई विवरण ही नहीं है |

साल 2020 में तमिलनाडु में त्रिची के तिरुचेंथुरई गांव का मामला निकल कर सामने आया ,जहां लगभग 1500 साल पुराने मंदिर सहित हिन्दुओ के समूचे गांव को वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था |

इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली में भी वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संसद की समिति को केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में 200 से ज्यादा प्रॉपर्टी, जो दो अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के कंट्रोल में थीं, उन्हें वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया हैऔर यह सारी बातें शहरी विकास और सड़क परिवहन सचिव और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दूसरे मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलकर वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति को अपनी बातें बताईं।

और इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 250 से ज्यादा संपत्तियों पर वक्फ़ बोर्ड ने अपना कब्ज़ा जमाया हुआ है. 
इनमें दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला में जामा मस्जिद, दिल्ली के आरके पुरम में छोटी गुमटी मकबरा, हौज़ खास मस्जिद, और ईदगाह शामिल हैं.
इसके अलावा केरल के एर्नाकुलम ज़िले के मुनम्बम में 404 एकड़ ज़मीन पर वक्फ़ बोर्ड ने दावा किया है.
और कर्नाटक के मैसूर ज़िले के मुनेश्वरनगर में 101 संपत्तियों पर भी वक्फ़ बोर्ड ने अपना दावा ठोका है,
बेंगलुरू का ईदगाह मैदान पर 1950 से वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है।
सूरत नगर निगम भवन को भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है,और उनका तर्क यह है कि इसे मुगलकाल में सराय के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
और इसके अलावा कोलकाता के टॉलीगंज क्लब, रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब और बेंगलुरु में आईटीसी विंडसर होटल के भी वक्फ भूमि पर होने का दावा है।

अब यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की वक्फ बोर्ड कानून में होने वाले संसोधन से कुछ लोग और खासकर मुस्लिम समुदाय इसलिए भी नाराज है क्यूंकि ,

दरअसल वक्फ बोर्ड को अभी अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति की जांच कर सकता है, और अगर किसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा कर दे तो इसे पलटना मुश्किल हो जाता है. वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में कहा गया है कि बोर्ड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. 
और इस प्रस्तावित संशोधन का प्रमुख उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा कब्जाई गयी संपत्ति के वर्गीकरण को नियंत्रित करना है.


क्यूंकि 2013 में मनमोहन सिंह की UPA-2 सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को सर्वशक्तिमान बना दिया था. जिससे यह साफ होता था कि वक्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां देने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया, और जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. 
अगर साफ कहा जाय तो एक धार्मिक संस्था को जानबूझकर असीमित ताकत दी गई, और पीड़ित व्यक्ति के पैरों में ऐसी बेड़ियां डाल दीं कि वो बेचारा अदालत से इंसाफ मांगने भी नहीं जा सकता था.

देश की किसी भी अन्य धार्मिक संस्था के पास इतनी ताकत आज भी नहीं है, जितनी वक्फ बोर्ड अधिनियम, 1995 की धारा 3 (Waqf act 1995 section 3) में वक्फ बोर्ड को दी गई हैं. इस धारा 3 के मुताबिक अगर वक्फ 'सोचता' है कि भूमि किसी मुस्लिम की है तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ को इस बारे में किसी को कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है, और अगर वक्फ ने बस बोल दिया की ये संपत्ति उनकी है तो फिर इसका मतलब है ही वो जमीन अल्लाह के नाम पर ट्रांसफर हो चुकी है .

सरकार का कहना है कि संशोधन के बाद बोर्ड किसी भी जमीन पर गलत दावा नहीं कर पाएगा इसलिए भविष्य में शायद ही जमीन विवाद से जुड़ा ऐसा कोई मामला सामने आएगा. कुछ मौलाना इसी बात का विरोध कर रहे है कि उनके धार्मिक मसलों में दखल देने का हक किसी को नहीं है.

और आज के समय में ज्यादातर मुस्लिम नेता , मुस्लिम समुदाय के लोग और विपक्षी नेता इसलिए भी वक्फ संसोधन बिल का विरोध कर रहे है क्यूंकि ये सभी लोग जानते है की इस बिल के पास होने के बाद कई लोगो की तुष्टिकरण की राजनीती समाप्त हो जायेगी और बहुत सारे लोगो का तो अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा 
क्यूंकि सरकार के द्वारा जो संसोधन प्रस्तावित है उसके अनुसार 
किसी को भी वक्फ़ घोषित करने के लिए, उस व्यक्ति को कम से कम पांच साल से इस्लाम धर्म मानना होगा. 
सभी वक्फ़ संपत्तियों का ऑडिट किया जाएगा और उनकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. 
वक्फ़ से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए ट्रिब्यूनल को ज़्यादा अधिकार दिए जाएंगे. 
वक्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ़ परिषद की संरचना में बदलाव किया जाएगा. और इनमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. 
वक्फ़ के तौर पर चिह्नित सरकारी संपत्तियां वक्फ़ की नहीं रहेंगी. ऐसी संपत्तियों के स्वामित्व का फ़ैसला कलेक्टर करेगा. 
अतिक्रमण हटाने के लिए नए उपाय किए जाएंगे. 
वक्फ़ संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा.
तो बस ! इसी कारण से सभी लोग एक साथ आकर वक्फ संसोधन बिल का विरोध कर रहे है क्यूंकि वो जानते है की इस बिल के आने के बाद बहुत सारे लोगो की बेनामी संपत्ति जिस पर उन सभी ने अल्लाह के नाम पर कब्ज़ा जमाया हुआ है ,वो सारी संपत्ति सरकारी संपत्ति घोषित हो जाएगी ,और ज्यादतर संपत्ति के विवादित मामले स्वत: ही समाप्त हो जायेंगे |

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