मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग में मोहम्मद शमी को लिखा पत्र..कहा किसी से डरने की जरूरत नहीं.. जानिए क्या लिखा है पत्र में

भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बेटी के होली खेलने पर इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकियों को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने इस मामले को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है और कट्टरपंथियों पर हमला बोला है। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करार दिया है।
विश्वास सारंग का बयान
मंत्री विश्वास सारंग ने कट्टरपंथियों की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब चरमपंथी अपनी सीमाएँ लांघ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हर व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार त्योहार मनाने की संविधानिक स्वतंत्रता है और किसी को भी यह हक नहीं कि वह धमकी देकर किसी की धार्मिक मान्यताओं या खुशियों पर रोक लगाए।
मोहम्मद शमी को लिखे एक पत्र में विश्वास सारंग ने उन्हें आश्वासन दिया कि शमी और उनकी बेटी को कट्टरपंथियों से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी धमकी भरी भाषा को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मौलाना का बयान और विवाद
मोहम्मद शमी की बेटी की होली खेलने की तस्वीरें सामने आने के बाद मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने इसे गैर-इस्लामी बताया। वहीं, कई कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर शमी की बेटी को शर्म करने और जाहिल तक कह दिया। इस बयान के बाद पूरे देश में इस्लामी कट्टरता को लेकर फिर से बहस तेज हो गई है।
सारंग का कांग्रेस पर हमला
विश्वास सारंग ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की है और इसी कारण वह कट्टरपंथियों के ऐसे बयानों पर प्रतिक्रिया देने से बचती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुस्लिम समाज के अंदर कट्टरता को बढ़ावा देने वाली राजनीति का नतीजा है।
धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस
यह मुद्दा अब सिर्फ मोहम्मद शमी की बेटी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम धार्मिक कट्टरता की बहस का रूप ले चुका है। भारत में हर नागरिक को किसी भी धर्म के त्योहार को मनाने या न मनाने का अधिकार है, लेकिन कट्टरपंथी सोच इस अधिकार पर लगातार हमले कर रही है।
इस विवाद के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है। अधिकतर लोगों का मानना है कि यह एक व्यक्तिगत मामला है और कट्टरपंथियों को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं, कुछ लोगों का तर्क है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए।
मोहम्मद शमी की बेटी के होली खेलने पर धमकियों ने एक बार फिर दिखा दिया है कि धार्मिक कट्टरता किस हद तक जा सकती है। यह सिर्फ एक क्रिकेटर की बेटी का मामला नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता और स्वतंत्रता के हनन की प्रवृत्ति का प्रतीक भी है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या कट्टरपंथियों पर कोई कानूनी शिकंजा कसा जाएगा या नहीं।
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