पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को भेंट किया महाकुंभ का पवित्र जल, बदले में मिली तुलसी की माला

भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी नेता तुलसी गबार्ड के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को महाकुंभ 2025 का पवित्र जल भेंट किया, वहीं तुलसी गबार्ड ने पीएम मोदी को तुलसी की माला उपहार स्वरूप दी।
महाकुंभ: दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम
पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को महाकुंभ के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 26 फरवरी को संपन्न हुए महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम बन गया। महाकुंभ को लेकर तुलसी गबार्ड ने भी गहरी रुचि दिखाई और हिंदू संस्कृति एवं भारतीय परंपराओं की सराहना की।
रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात
पीएम मोदी से मिलने से पहले तुलसी गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। इन बैठकों में भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग, खुफिया साझेदारी और साइबर सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
भारत विरोधी गतिविधियों पर चर्चा
बैठक के दौरान भारत में प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन "सिख फॉर जस्टिस" (SFJ) की अमेरिकी धरती पर बढ़ती गतिविधियों पर भी चर्चा हुई। यह संगठन भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा है, जिससे भारत सरकार चिंतित है।
गीता से प्रेरणा लेने वाली तुलसी गबार्ड
हिंदू धर्म को मानने वाली तुलसी गबार्ड ने भगवद गीता और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों से मिली प्रेरणा के बारे में बात की। उन्होंने समाचार एजेंसी ANI को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह अच्छे और कठिन समय में गीता के ज्ञान से मार्गदर्शन प्राप्त करती हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा
तुलसी गबार्ड की यह यात्रा भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा आयोजित बैठक में उन्होंने करीब 20 देशों के खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ भाग लिया।
इस मुलाकात ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत होते सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को और गति दी है। महाकुंभ के पवित्र जल और तुलसी की माला के आदान-प्रदान से यह संदेश गया कि दोनों देश आध्यात्मिक और रणनीतिक स्तर पर नजदीक आ रहे हैं। यह यात्रा न केवल कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है।
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