बांग्लादेश पर विपक्षियों की बोलती बंद ,लेकिन गाजा पर बजायेंगे बाजा

पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिन्दुओ के ऊपर हो रहे अत्याचार की खबर आये दिन हम सभी को सुनने के लिए मिलते रहते है ,और पिछले कुछ सालों में तो बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति काफी खराब हो गयी है.आपको बताते चले की प्राप्त जानकारी के अनुसार, 1951 में इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी करीब 22 फीसदी थी. उसके बाद से हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती गई. जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों ने हिंदुओं पर जमकर अत्याचार किया है. हिंदुओं को आर्थिक और धार्मिक स्तर पर परेशान किया गया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हुए.
और जिस दिन बांग्लादेश का तख्ता-पलट हुआ एवं प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा ,उसके बाद से ही बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं के ऊपर और भी अत्याचार शुरू हो गया , बांग्लादेश में जगह-जगह पर हिंदू मंदिरों और हिंदू समुदाय पर हमले होने लगे । बांग्लादेश में जान-बूझकर हिंदुओं के घरों और मंदिरों को निशाना बनाया जाने लगा । इस्कॉन और काली मंदिर पर हमले हुए , भक्तो पर जानलेवा हमला किया गया और हिन्दू बहन-बेटियों के साथ बदसुलूकी की गयी ,हालात इतने बद से बदतर हो गये की हिन्दू अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हो गये है,उनकी करुण पुकार को कोई भी सुनने वाला नही है ,क्यूंकि उनका अपराध बस यही है की वो बेचारे अभागे 'हिन्दू' है ,और उन्होंने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को इस्लामिक राष्ट्र में भी सहेजे रखा है ,
लेकिन आप जरा सोचकर देखिये की अगर यही सारी चीजे मुस्लिम समुदाय के साथ हो रहा होता तो क्या उनके लिए भी सभी लोग यूही चुप्पी साधकर बैठे होते ?
बिल्कुल नही ! क्यूंकि चाहे वो किसी भी मुल्क का नागरिक हो और अगर वो मुसलमान है तो उनलोगों का यह मानना है की सारे मुस्लिम उनके अपने सगे रिश्तेदार है .
और यही बात अगर कोई हिन्दू दुसरे मुल्क में रहने वाले हिन्दुओ के लिए बोल दे तो यह सारी चीजे उन्हें हजम नही होती है ..
आप सभी ने देखा होगा की जब इजराइल ने गाजा पर 07 अक्टूबर 2023 को हमला किया था ,तो उसके बाद हिंदुस्तान में रहने वाले लेफ्ट लिबरल और प्रमुख विपक्षी नेताओ ने विधवा विलाप करना शुरू कर दिया था
राहुल गाँधी ,अखिलेश यादव ,ओवैसी ,केजरीवाल ,स्टॅलिन ,तेजस्वी यादव समेत तमाम बड़े नेताओ ने इतना हो-हल्ला मचाया की पूछो ही मत .
जिन नेताओ को भारत माता की जय और वन्दे मातरम बोलने में मौत आती थी
वही नेता खुले आम जय फिलिस्तीन की नारे लगा रहे थे ,और बेशर्मी की पराकाष्ठा तो देखो अस्सद्दुदीन ओवैसी जैसा नेता जिसने कभी भी भारत माता की जय के नारे नही लगाया ,वो देश के सर्वोच्च्य सदन 'संसद' में जाकर शपथ लेने के बाद 'जय फलिस्तीन' के नारे लगाता है .
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों पर भारत के विपक्षी दलों की खामोशी बताती है कि वोट बैंक की राजनीति किस हद तक हावी है। यदि ऐसे ही हमले भारत या किसी पड़ौसी देश में मुसलमानों पर हुए होते तो विपक्षी दल आसमान सिर पर उठा लेते
लेकिन इन सभी नेताओ के मुंह में तब दही जम जाता है जब बात बांग्लादेश में हिन्दुओ के ऊपर हो रहे अत्याचार पर होती है ,क्यूंकि हिन्दुओ के मानवाधिकार की रक्षा करना इनके एजेंडा में 'फिट' नही बैठता है ..
हिन्दुओं पर इतना अत्याचार होने के बावजूद उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना तो दूर इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना तक नहीं की,क्यूंकि इस आलोचना में भी विपक्षी दलों को मुस्लिम वोट बैंक खतरे में नजर आता है,और यहा पर यह साफ जाहिर है कटु आलोचना करने का मतलब है कट्टरपंथी मुसलमानों की आलोचना करना ,और विपक्षी दलों के लिए ऐसा करना आसान नहीं है.
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