ये हैं मोदी होने के मायने..तुष्टिकरण और परिवार पूजन करने वाली किसी सरकार ने नहीं मनाई सावित्री बाई फुले की जयंती..!

Jan 3, 2025 - 15:24
Jan 3, 2025 - 16:47
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ये हैं मोदी होने के मायने..तुष्टिकरण और परिवार पूजन करने वाली किसी सरकार ने नहीं मनाई सावित्री बाई फुले की जयंती..!

3 जनवरी का ही वो दिन है जिस दिन सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था सावित्रीबाई फुले ने महिला सशक्तिकरण व शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए विद्यालय खोला और उनको शिक्षा दिलाने के लिए पुरजोर आवाज उठाई...समाज मे फैली तमाम कुरीतियों के खिलाफ फुले हमेशा मुखर होकर बोलीं ताकि समाज में चेतना आ सके..!

इतना सब कुछ करने पर भी क्या बीते किसी सालों में आपने सावित्रीबाई फुले के नाम पर कोई सड़क विश्वविद्यालय या समाधि स्थल का नाम देखा? जवाब है नहीं..नहीं और सिर्फ नहीं.. और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय की कांग्रेस सरकार तुष्टिकरण की राजनीति व एक खास परिवार के गुणगान में ही लगी रही.. देश के जितने भी प्रतिष्ठान व यूनिवर्सिटी हैं सब एक खास परिवार के नाम पर रहे और सभी महत्वपूर्ण योजनाएं खास मजहब के लिए रही.. तुष्टिकरण की राजनीति के चलते देश की बहुसंख्यक आबादी के हितों को कांग्रेस सरकार ने हमेशा नजरअंदाज किया... जैसा कि बाबा साहब ने कहा था कि नेहरू को दलित पिछड़ों की बजाय सिर्फ मुसलमानों के हितों की चिंता रहती है..इसी लकीर को कांग्रेस की सरकारों ने बड़ा किया.. इससे पहले कभी किसी प्रधानमंत्री को सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाते हुए आपने देखा? 

ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही सरकार है जिसने देश की करीब 55 फीसदी आबादी के हितों की बात करने वाली सावित्रीबाई फुले की जयंती को परंपरागत तौर पर हर वर्ष सम्मान देना शुरू किया है..सावित्री बाई की जयंती पर भाजपा के सभी बड़े नेता उन्हें नमन करते हैं..उनकी जयंती पर बीजेपी गोष्ठियां करती है क्या इससे पहले किसी भी पार्टी ने इतने बड़े लेवल पर सावित्री बाई फुले की जयंती को मनाया है? क्या 55 फीसदी आबादी की बड़ी आवाजों , उनके प्रतीक पुरुषों को इस लेवल पर किसी पार्टी ने इज्जत दी? 

ये नरेंद्र मोदी जी की ही सरकार है जिसने सावित्री बाई फुले की जयंती को बडे लेवल पर मनाना शुरू किया..जबकि इससे पहले की कांग्रस सरकारें सिर्फ और सिर्फ मजहब विशेष और परिवार विशेष की महिमा मंडन में लगी रहीं...

देश की दलित वंचित पिछड़ों की आवाजों को जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने मुकम्मल मंच देना शुरू किया है वो दर्शाता है कि देश की 55 फीसदी आबादी के हितों का , उनकी इज्जत का, उनके प्रतीक पुरुषों का यदि किसी को ख्याल है तो वो स्वयं प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी जी को है।

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