बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों का आतंक जारी: बंगाली नव वर्ष पर 100 गाय काटने की धमकी

ढाका: बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों की गतिविधियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस बार इन चरमपंथी तत्वों ने बंगाली नव वर्ष ‘पोहेला बोइशाख’ के मौके पर 100 गाय काटने की धमकी दी है। यह धमकी हिंदू समुदाय को डराने और बंगाली संस्कृति पर हमले के रूप में देखी जा रही है। वहीं, प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है, जिससे अल्पसंख्यक हिंदुओं के बीच डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
बंगाली नव वर्ष पर हमला: इस्लामीकरण की साजिश?
बांग्लादेश में ‘पोहेला बोइशाख’ बंगाली संस्कृति और परंपरा का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यह केवल हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि बंगाली मुसलमानों के लिए भी गर्व का विषय रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में कट्टरपंथी संगठनों ने इसे ‘इस्लाम विरोधी’ करार देकर इसे रोकने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
इस साल, कई इस्लामी संगठनों ने खुलेआम धमकी दी है कि वे इस दिन 100 गायों की बलि देकर इसे इस्लामी जलसे में बदल देंगे। इन कट्टरपंथियों का दावा है कि यह पर्व इस्लामी संस्कृति के खिलाफ है और इसे रोकना ‘धार्मिक कर्तव्य’ है।
युनुस सरकार की चुप्पी और हिंदुओं में खौफ
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार अब तक इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है। अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय, जो पहले से ही बांग्लादेश में अत्याचारों का सामना कर रहा है, अब और अधिक भयभीत हो गया है।
बीते वर्षों में, हिंदू मंदिरों पर हमले, मूर्तिभंजन, हिंदू महिलाओं पर अत्याचार, और जबरन धर्मांतरण की घटनाएँ तेज़ी से बढ़ी हैं। लेकिन सरकार की निष्क्रियता ने कट्टरपंथियों को और अधिक हिम्मत दी है।
बांग्लादेश में बढ़ते इस्लामीकरण का खतरा
बांग्लादेश की स्थापना 1971 में एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में हुई थी, लेकिन हाल के वर्षों में यह इस्लामी कट्टरपंथियों का गढ़ बनता जा रहा है। हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामी संगठनों का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे बांग्लादेश की मूल संस्कृति और परंपराएँ खतरे में पड़ गई हैं।
क्या बचेगा बांग्लादेश का मूल स्वरूप?
अगर इस्लामी कट्टरपंथियों को इसी तरह खुली छूट मिलती रही, तो बांग्लादेश जल्द ही पाकिस्तान की राह पर चला जाएगा। बंगाली नव वर्ष पर हमले और धार्मिक जबरदस्ती बांग्लादेश के मूल चरित्र के लिए खतरा हैं।
अब सवाल उठता है – क्या सरकार इस्लामी कट्टरपंथियों पर नकेल कसेगी या फिर हिंदू, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यकों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा?
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