हज से हजारों साल पुराना है महाकुंभ का इतिहास... पढ़िए इस report में

वैसे तो धर्म के नाम पर एक जगह जमा होने की परंपराएं दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद हैं। लेकिन कुंभ की परंपरा इन सभी से ज्यादा प्राचीन है।
यूरोप हो या अफ्रीका, जापान या यरुशलम…हर जगह धर्म के नाम पर हजारों साल से लोग जमा होते रहे हैं और अपनी-अपनी मान्यताओ के अनुसार पूजा-पाठ या सजदा करते है
आपको बताते चले की इनमें से ज्यादातर की शुरुआत की कोई न कोई एक तय तारीख है ,हालाँकि इनका कोई लिखित रिकॉर्ड तो नहीं है, लेकिन अगर दंतकथाओं को भी आधार मानें शायद इस तरह की परंपराओं में कुंभ पर्व सबसे पुराना है।
कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति से होती है और इसका समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है। कुंभ को 3 श्रेणियों में बांटा गया है महाकुंभ, अर्ध कुंभ और पूर्ण कुंभ
ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि महाकुंभ के मेले में लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की संख्या में भीड़ उमड़ती है।
कुंभ का आयोजन केवल 4 स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है।
आपको बताते चले की समुद्र मंथन चाक्षुष मन्वंतर में हुआ था, जो करीब 15 करोड़, 5 लाख 122 साल पहले हुआ था. और पुराणों के मुताबिक, उस समय वैवस्वत मन्वंतर चल रहा था
जब अमृत को लेकर राक्षसों और देवताओं के बीच संघर्ष हुआ, तब अमृत की कुछ बूंदें, इन्हीं चार स्थानों पर गिरी थी, इसलिए प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही कुंभ का आयोजन किया जाता है।
लेकिन अगर बात यहां पर हज की की जाये तो साल 628 में पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी. ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैग़ंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इसी को हज कहा जाता है.
अब यहां पर जाहिर सी बात तो यह है की जिस हज यात्रा की शुरुआत ही महज 1400 साल पहले हुई हो उसकी तुलना महाकुम्भ जैसे पौराणिक धार्मिक परम्पराओ और मान्यताओ के साथ करना बहुत ही हास्यास्पद है ,जिसकी शुरुआत आज से लगभग 15 करोड़ साल पहले हुआ था ...
What's Your Reaction?






