बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन होते ही क्यों बढ़े हिन्दुओं पर हमले? क्या भारत विरोधी माहौल तैयार कर रहा है यूनुस सरकार

Mar 15, 2025 - 11:21
Apr 3, 2025 - 13:50
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बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन होते ही क्यों बढ़े हिन्दुओं पर हमले? क्या भारत विरोधी माहौल तैयार कर रहा है यूनुस सरकार

बांग्लादेश में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन ने देश की राजनीतिक स्थिरता को हिला कर रख दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाकर मोहम्मद यूनुस की सरकार सत्ता में आई है। अब, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारून अल रशीद ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने मोहम्मद यूनुस को तानाशाह करार दिया और आरोप लगाया कि उनकी सरकार आतंकियों के समर्थन से सत्ता में आई है।

हारून अल रशीद के गंभीर आरोप

राजदूत हारून अल रशीद ने साफ कहा कि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार देश को गर्त में धकेल रही है। उनके अनुसार:

शेख हसीना को सत्ता से हटाने में कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका रही।

बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काया जा रहा है ताकि जनता का ध्यान भटकाया जा सके।

पश्चिमी देश इस पूरी स्थिति पर चुप हैं और किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर रहे।

रशीद ने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश में अब लोकतंत्र का नाम मात्र बचा है और असहमति की आवाज़ों को दबाया जा रहा है।

बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बदतर

बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। 1971 में जहां हिंदू आबादी 20% थी, वह 2022 की जनगणना के अनुसार 7.95% रह गई है।

हाल के महीनों में हिंदू मंदिरों पर हमले, संपत्तियों की लूट और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं तेज हो गई हैं। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अनुसार,

अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच 2,010 सांप्रदायिक हमले हुए।

इन घटनाओं में 23 हिंदुओं की हत्या और नौ महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ।

सैकड़ों हिंदू परिवारों को जबरन इस्लाम कबूलने के लिए धमकाया गया।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर

बांग्लादेश में बढ़ती हिंदू-विरोधी हिंसा का असर भारत के साथ उसके संबंधों पर भी पड़ा है।

नई दिल्ली में बांग्लादेशी दूतावास के बाहर बड़े प्रदर्शन हुए, जहां भारत सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की गई।

भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।

कई भारतीय संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के हालात पर दखल देने की अपील की है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी चिंता का विषय

यह चौंकाने वाली बात है कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने बांग्लादेश में बिगड़ते हालात पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन भी इस पर मौन हैं।

पश्चिमी देशों की चुप्पी से यूनुस सरकार और कट्टरपंथियों का मनोबल बढ़ रहा है।

क्या बांग्लादेश तालिबान मॉडल की ओर बढ़ रहा है?

हारून अल रशीद के बयान और बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की बढ़ती ताकत को देखकर सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश भी तालिबान मॉडल की ओर बढ़ रहा है?

लोकतंत्र की जगह अधिनायकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।

धर्मनिरपेक्षता को खत्म कर इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ाया जा रहा है।

हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सत्ता में आने के बाद हिंदुओं की स्थिति और भी खराब हो गई है। कट्टरपंथी ताकतें पूरे देश पर हावी हो रही हैं, और भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काकर सरकार अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश कर रही है।

अगर भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए हालात और भी भयावह हो सकते हैं।

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