होली पर हिंदुओं को बनाया निशाना: झारखंड से पंजाब तक मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मचाई तांडव

भारत में होली का त्योहार रंगों, भाईचारे और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। लेकिन 2025 की होली पर कुछ जगहों से तनाव और हिंसा की खबरें आईं, जिसने सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ दिया। झारखंड के गिरिडीह और पंजाब के लुधियाना में होली जुलूसों के दौरान मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा किए गए हमलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
गिरिडीह (झारखंड): होली जुलूस पर पथराव
झारखंड के गिरिडीह जिले में 14 मार्च 2025 को होली जुलूस के दौरान घोरथंबा इलाके में हिंसा भड़क गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब हिंदू समुदाय के लोग परंपरागत होली जुलूस निकाल रहे थे, तभी कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जुलूस के मार्ग का विरोध किया।
कैसे बढ़ा विवाद?
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस को रोकने की कोशिश की।
इसके बाद दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया।
विवाद ने जल्द ही पथराव और हिंसा का रूप ले लिया।
इस झड़प में कई लोग घायल हो गए।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि धार्मिक असहिष्णुता समाज में लगातार बढ़ रही है।
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लुधियाना (पंजाब): मस्जिद के पास हिंसा
पंजाब के लुधियाना में भी होली के दिन सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली। फोकल प्वाइंट इलाके में बिहारी कॉलोनी के पास मस्जिद के आसपास झड़प हो गई।
घटना का घटनाक्रम:
शुक्रवार को होली का जुलूस निकल रहा था।
इस दौरान मस्जिद के पास पथराव शुरू हो गया।
दोनों पक्षों के बीच ईंट-पत्थर और बोतलों से हमला हुआ।
झड़प में 10 लोग घायल हुए और कई गाड़ियों को तोड़ दिया गया।
पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है।
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क्या यह सुनियोजित हिंसा है?
हर साल त्योहारों पर सांप्रदायिक झड़पें देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार की घटनाएं सुनियोजित हिंसा का संकेत देती हैं। कुछ कट्टरपंथी गुट धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
होली जुलूस पर हमले का पैटर्न कई राज्यों में दिखा।
मस्जिदों और संवेदनशील इलाकों के पास जुलूसों को निशाना बनाया गया।
कट्टरपंथी गुटों ने त्योहार को बाधित करने की कोशिश की।
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सरकार और प्रशासन की भूमिका
इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन को सख्ती दिखानी होगी। पुलिस को चाहिए कि वह—
✅ दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई करे।
✅ असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार करे।
✅ धार्मिक जुलूसों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
साथ ही, सरकार को कट्टरपंथी संगठनों पर नजर रखनी होगी, ताकि वे समाज में फूट डालने की साजिश न रच सकें।
भारत की पहचान धार्मिक सहिष्णुता और विविधता में एकता से होती है। त्योहारों के दौरान ऐसी सांप्रदायिक घटनाएं देश की अखंडता पर चोट करती हैं। प्रशासन को कठोर कदम उठाने होंगे ताकि किसी भी धर्म या समुदाय के त्योहारों को हिंसा का शिकार न बनना पड़े। सांप्रदायिक सौहार्द को बचाने के लिए समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर कट्टरपंथी सोच का विरोध करना होगा।
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