असम में घुसपैठियों पर बड़ा एक्शन, हेमंता सरकार ने 1.66 लाख की पहचान, 30 हजार को निकाला

असम में घुसपैठियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने अब तक 1.66 लाख अवैध घुसपैठियों की पहचान कर ली है, जिनमें से 30,000 लोगों को राज्य से बाहर निकाला जा चुका है। इस मुद्दे पर असम विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी।
सीमा सुरक्षा को किया मजबूत
असम की बांग्लादेश से लगी 228 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की पूरी तरह से बाड़बंदी कर दी गई है, जिससे अवैध घुसपैठ पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। हेमंता सरकार का कहना है कि असम में बांग्लादेशी घुसपैठ एक गंभीर समस्या रही है, जिससे राज्य की जनसांख्यिकी और संसाधनों पर भारी दबाव पड़ा है। सरकार इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कदम उठा रही है।
कैसे की जा रही है घुसपैठियों की पहचान?
राज्य सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), मतदाता सूची, भूमि रिकॉर्ड और अन्य सरकारी दस्तावेजों के माध्यम से अवैध रूप से बसे लोगों की पहचान कर रही है। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को भी इस अभियान में लगाया गया है।
हेमंता सरकार का सख्त रुख
मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट कर दिया है कि असम में किसी भी अवैध घुसपैठिए को रहने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि,
"हमारी सरकार असम की पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अवैध घुसपैठियों को यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। जो भी अवैध रूप से रह रहा है, उसे वापस भेजा जाएगा।"
विपक्ष का विरोध, लेकिन सरकार अडिग
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य की सुरक्षा, संसाधनों की सुरक्षा और सांस्कृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है।
भविष्य की रणनीति
हेमंता सरकार ने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में अवैध घुसपैठियों की पहचान और निर्वासन प्रक्रिया तेज की जाएगी। इसके अलावा, असम में सीमा चौकियों की संख्या बढ़ाई जाएगी, आधुनिक सर्विलांस सिस्टम लगाया जाएगा और घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कानून लागू किए जाएंगे।
निष्कर्ष
असम सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से राज्य में अवैध घुसपैठ पर प्रभावी नियंत्रण होने की उम्मीद है। बांग्लादेश से लगने वाली सीमा की पूरी बाड़बंदी और घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की इस नीति को राष्ट्रीय सुरक्षा और असम की संस्कृति की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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