रमजान में विशेष सुविधाएँ, लेकिन हिंदू त्योहारों पर भेदभाव क्यों? पढ़िये इस रिपोर्ट में

हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों के लिए रमजान के दौरान विशेष सुविधाओं की माँग ने विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान कार्यस्थल पर सुविधाएँ मिलनी चाहिए, जिससे वे रोज़े रख सकें। हालाँकि, इस पर केंद्रीय मंत्री ने आपत्ति जताते हुए इसे अस्वीकार्य बताया और कहा कि हिंदू भी अपने त्योहारों पर उपवास रखते हैं, लेकिन उनके लिए इस तरह की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जाती।
तेलंगाना में भी हुआ था ऐसा फैसला
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो। इससे पहले, तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान जल्दी छुट्टी दी जा सकती है, ताकि वे इफ्तार कर सकें। यह फैसला तेलंगाना में भी काफी चर्चा में रहा था।
हिंदू त्योहारों के लिए ऐसा प्रावधान क्यों नहीं?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि हिंदू त्योहारों के समय इस तरह की कोई विशेष व्यवस्था क्यों नहीं की जाती? कई हिंदू कर्मचारी नवरात्रि, एकादशी या अन्य अवसरों पर उपवास रखते हैं, लेकिन उनके लिए कार्यस्थल पर किसी विशेष सुविधा की घोषणा नहीं होती। इसके अलावा, कई बार हिंदू त्योहारों पर सरकारी छुट्टियाँ भी कम कर दी जाती हैं, जबकि अन्य समुदायों के त्योहारों पर अतिरिक्त सहूलियत दी जाती है।
समानता का सिद्धांत और राजनीति
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने चाहिए। जब किसी विशेष धर्म के लोगों को सरकारी सुविधाएँ दी जाती हैं, तो यह समानता के सिद्धांत के खिलाफ जाता है। विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस की यह नीति तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है। अगर किसी धर्म के कर्मचारियों को विशेष सुविधा दी जाती है, तो अन्य धर्मों के अनुयायियों के साथ भी समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
अगर सरकार कर्मचारियों की धार्मिक आवश्यकताओं का सम्मान करना चाहती है, तो उसे सभी धर्मों के लिए समान नीति बनानी चाहिए। सिर्फ एक समुदाय को विशेष सुविधा देना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि इससे समाज में असंतोष भी बढ़ सकता है। इसलिए, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी त्योहारों और उपवासों को समान रूप से मान्यता दी जाए, ताकि किसी भी समुदाय को यह महसूस न हो कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है।
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