डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और हिंसक कंटेंट पर लगाम, सरकार ला सकती है नया कानून

Feb 22, 2025 - 15:49
Mar 10, 2025 - 11:45
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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और हिंसक कंटेंट पर लगाम, सरकार ला सकती है नया कानून

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ते अश्लील और हिंसक कंटेंट को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अब सख्त रुख अपनाने की तैयारी कर रहा है। सरकार नए कानूनों की जरूरत पर विचार कर रही है ताकि ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का दुरुपयोग रोककर आपत्तिजनक सामग्री पर नियंत्रण लगाया जा सके।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को मंत्रालय ने बताया कि मौजूदा कानूनों में कुछ प्रावधान तो हैं, लेकिन ऐसे नुकसानदायक कंटेंट पर रोक लगाने के लिए एक सख्त और प्रभावी कानूनी ढांचा जरूरी है।

क्यों उठी सख्त कानून की जरूरत?

1️⃣ अश्लील और हिंसक कंटेंट की भरमार: ओटीटी और सोशल मीडिया पर अनफ़िल्टर्ड कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है, जिससे समाज में नैतिकता और सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है।

2️⃣ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग: कुछ लोग फ्री स्पीच के नाम पर आपत्तिजनक सामग्री साझा कर रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता को नुकसान हो सकता है।

3️⃣ वर्तमान कानूनों की सीमाएँ: मौजूदा आईटी एक्ट और सेंसरशिप कानून डिजिटल कंटेंट पर पूर्ण नियंत्रण के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

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क्या होगा इस नए कानून का असर?

✔️ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप बढ़ेगी।
✔️ ओटीटी और सोशल मीडिया पर कंटेंट की निगरानी होगी।
✔️ अश्लील, हिंसक और आपत्तिजनक सामग्री पर सख्त कार्रवाई होगी।
✔️ कंटेंट क्रिएटर्स को नैतिकता और समाजिक जिम्मेदारी के तहत काम करना होगा।

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कंटेंट क्रिएशन पर असर: क्रिएटिविटी बनाम सेंसरशिप

इस नए कानून से कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी सीमाओं का ध्यान रखना होगा। हालांकि, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सेंसरशिप बहुत सख्त हुई, तो यह रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर डाल सकती है। लेकिन सरकार का मानना है कि यह कानून केवल अनुचित और समाज को नुकसान पहुँचाने वाले कंटेंट पर रोक लगाने के लिए होगा।---

निष्कर्ष: क्या यह सही कदम होगा?

सरकार का यह कदम डिजिटल कंटेंट की गुणवत्ता सुधारने और समाज में अनुशासन बनाए रखने के लिए अहम हो सकता है। हालांकि, यह भी सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि क्रिएटिविटी और सेंसरशिप के बीच संतुलन बना रहे। आने वाले समय में देखना होगा कि यह नया कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाते हुए आपत्तिजनक सामग्री पर कैसे लगाम लगाएगा।

आपका क्या मानना है? क्या डिजिटल कंटेंट पर सख्त नियम जरूरी हैं, या यह सेंसरशिप की ओर एक गलत कदम हो सकता है? अपनी राय कमेंट में साझा करें!

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