मोहम्मद रिजवान: खेल के मैदान में या कट्टरता के प्रचार में?

नई दिल्ली: पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद रिजवान इन दिनों विवादों में घिरे हुए हैं। हाल ही में उनकी टीम चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के पहले ही दौर में बाहर हो गई, जिसके बाद उनकी लीडरशिप पर सवाल उठने लगे हैं।
रिजवान और विवादों का सिलसिला
रिजवान को लेकर पहले भी कई विवाद सामने आए हैं। पाकिस्तानी ओपनर इमाम उल हक ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में उनकी नेतृत्व शैली को लेकर कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए। इमाम ने बताया कि रिजवान टीम में लीडरशिप इसलिए निभाते हैं क्योंकि वह खिलाड़ियों को नमाज के लिए एकत्रित करते हैं, होटल में विशेष प्रार्थना कक्ष तैयार करवाते हैं और गैर-मुस्लिमों के वहां आने पर रोक लगवाते हैं।
रिजवान ने हेडन को गिफ्ट की थी कुरान
रिजवान पहले भी इस्लाम के प्रचार को लेकर चर्चा में रहे हैं। उन्होंने एक बार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैथ्यू हेडन को कुरान भेंट की थी। हेडन ने बताया था कि वह अंग्रेजी अनुवाद वाली कुरान को रोज पढ़ते थे और इस्लाम पर उन्होंने रिजवान से गहन चर्चा भी की थी।
कप्तानी पर मंडरा रहा खतरा
पाकिस्तान की टीम चैंपियंस ट्रॉफी में बुरी तरह से फ्लॉप रही। टीम के खराब प्रदर्शन के चलते रिजवान की कप्तानी पर भी खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान का अगला मुकाबला 27 फरवरी को बांग्लादेश से होगा, और अगर टीम यह मुकाबला भी हार जाती है, तो रिजवान को कप्तानी से हाथ धोना पड़ सकता है।
क्या क्रिकेट में धर्म का प्रचार सही है?
यह पहला मौका नहीं है जब क्रिकेट में धार्मिकता को लेकर विवाद उठा हो। खेल को खेल के रूप में ही लिया जाना चाहिए, न कि किसी धर्म या विचारधारा को बढ़ावा देने के मंच के रूप में। सवाल यह उठता है कि क्या एक कप्तान का कर्तव्य सिर्फ टीम को एकजुट कर जीत की ओर ले जाना होना चाहिए या फिर अपने धार्मिक विचारों को थोपना?
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