वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक: जेडीयू के समर्थन की वजह और सियासी समीकरण

Apr 4, 2025 - 14:40
Apr 12, 2025 - 16:25
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वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक: जेडीयू के समर्थन की वजह और सियासी समीकरण

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर भारतीय राजनीति में हलचल तेज रही। यह विधेयक अब संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा है। भाजपा को इस विधेयक को पारित कराने के लिए अपने सहयोगियों का समर्थन लेना पड़ा, जिसमें खासतौर पर जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की भूमिका अहम रही। जेडीयू के समर्थन ने कई सवाल खड़े कर दिए, क्योंकि यह पार्टी अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए जानी जाती है।

नीतीश कुमार की शंकाएं और सरकार की प्रतिक्रिया

राज्यसभा में जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर गंभीर चिंताएं थीं। खासकर, मुस्लिम धार्मिक स्थलों जैसे मस्जिदों, दरगाहों आदि में हस्तक्षेप की आशंका को लेकर वे चिंतित थे।

मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रमुख प्रतिनिधियों ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इन चिंताओं को जेडीयू ने केंद्र सरकार के समक्ष रखा और गृह मंत्री अमित शाह से इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। अंततः, सरकार ने कुछ संशोधन कर इन चिंताओं को दूर करने का भरोसा दिया, जिसके बाद जेडीयू ने विधेयक का समर्थन किया।

लोकसभा में ललन सिंह की भूमिका

लोकसभा में जेडीयू नेता ललन सिंह ने इस बिल का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने विपक्ष द्वारा इसे मुस्लिम विरोधी करार दिए जाने की आलोचना की और कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समाज, खासकर पसमंदा वर्ग के हित में है।

ललन सिंह ने नीतीश कुमार द्वारा बिहार में मुस्लिम समुदाय के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि उनकी सरकार ने हमेशा इस समाज के हित में फैसले लिए हैं। यह विधेयक भी उन्हीं प्रयासों का हिस्सा है, जिससे मुस्लिम समाज सशक्त होगा।

राजनीतिक समीकरण और आगामी बिहार चुनाव

नीतीश कुमार के इस फैसले को बिहार की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, जेडीयू का यह कदम मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

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