पाकिस्तानी PM के कहने पर पंडित नेहरू ने किया था सोमनाथ मंदिर का विरोध?

क्या आपको पता है कि पाकिस्तान के दबाव में पंडित नेहरू भव्य सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में नहीं गए थे और ना ही तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को जाने दे रहे थे....पढ़िए वो सच जो सबको पता होना चाहिए नेहरू ने पहले तो सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के लिए राजेंद्र प्रसाद को जाने से मना किया लेकिन जब भी राजेंद्र प्रसाद गए तब नेहरू ने कहा कि आपका खर्च भारत सरकार पैसा नहीं देगी, तब डॉ राजेंद्र प्रसाद की निजी हैसियत से ट्रेन से बड़ोदरा गए और बड़ोदरा से महाराज बड़ोदरा की कार से सोमनाथ गए ।
पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को जब पता चला कि सोमनाथ मंदिर बन रहा है तब उन्होंने नेहरू जी को लिखकर भारी विरोध जताया कि आप किसी भी कीमत पर सोमनाथ मंदिर मत बनने दीजिए । लियाकत अली खान ने यह भी लिखा कि मुझे यह भी पता चल रहा है कि आकाशवाणी इस उद्घाटन समारोह की लाइव कमेंट्री करेगी आप यह मत होने दीजिए।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की पोती डॉक्टर तारा सिन्हा ने आरटीआई के द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद के सारे पत्र व्यवहार हासिल किया और इतना ही नहीं सोमनाथ मंदिर से जुड़े सारे दस्तावेज और जवाहरलाल नेहरू ने जितने भी पत्र लिखे वह सब हासिल किया और उन्होंने एक किताब लिखी है “राजेंद्र बाबू पत्रों के आईने में" इसमें पुस्तक में लिखा है कि नेहरू जी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पत्र लिखकर आश्वसत किया कि आप चिंता मत करिए जहां तक संभव होगा मैं यह मंदिर नहीं बनने दूंगा, सरकारी पैसे तो बिल्कुल भी नहीं लगने दूंगा और आकाशवाणी पर मैं इसका सीधा प्रसारण नहीं होने दूंगा।
उसके बाद नेहरू जी ने सूचना प्रसारण मंत्री BN गाडगिल KL मुंशी और सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री ढेबर भाई को पत्र लिखकर कहा कि आकाशवाणी के राजकोट ऑफिस और अहमदाबाद ऑफिस को आप बोल दीजिए कि सोमनाथ मंदिर उद्घाटन का सीधा प्रसारण ना होने पाए और नेहरू जी ने अपने पत्र में लिखा कि मुझे भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव आ रहा है। जबकि नेहरू को सिर्फ पाकिस्तान का दबाव आ रहा था दुनिया के किसी भी देश ने नेहरू पर कोई दबाव नहीं डाला था। इतना ही नहीं नेहरू ने मुंबई प्रांत के मुख्यमंत्री मोरारजी भाई को पत्र लिखकर कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद निजी हैसियत से जा रहे हैं उन्हें कोई भी सरकारी प्रोटोकॉल सुरक्षा व्यवस्था न दिया जाए ।
सोचिए उस समय पाकिस्तान के दबाव में पंडित नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से सुरक्षा व्यवस्था छीन ली उनसे सरकारी सुविधा छीन ली और तमाम प्रांत के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दबाव बनाया कि सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का प्रसारण आकाशवाणी पर ना हो पाए।
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