सिर्फ बलूचिस्तान ही नहीं बल्कि 'यह' इलाके भी चाहते हैं पाकिस्तान से अपनी आजादी.. बलूच टूटा तो भारत क्या होगा फायदा.. जानिए सब कुछ इस आर्टिकल में

पाकिस्तान आज कई आंतरिक संघर्षों और अलगाववादी आंदोलनों का सामना कर रहा है, जैसे बलूचिस्तान, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर प्रांत है, लंबे समय से पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहा है। लेकिन बलूचिस्तान अकेला नहीं है—सिंध, खैबर-पख्तूनख्वा (KPK) और पंजाब के कुछ हिस्सों में भी अलगाववादी भावना तेज़ हो रही है।
अगर बलूचिस्तान और अन्य प्रांत पाकिस्तान से अलग होते हैं, तो यह न केवल पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत के लिए भी यह महत्वपूर्ण सामरिक और कूटनीतिक बदलाव ला सकता है।--
बलूचिस्तान का संघर्ष: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और इसकी सीमाएँ अफगानिस्तान, ईरान और भारत से जुड़ी हैं। यह क्षेत्र हमेशा से पाकिस्तान की मुख्यधारा राजनीति से असंतुष्ट रहा है।
बलूचिस्तान के अलगाववादी आंदोलन के प्रमुख कारण:
1. आर्थिक शोषण:
बलूचिस्तान तेल, गैस और खनिज संसाधनों से समृद्ध है, लेकिन यहाँ के लोग मानते हैं कि पाकिस्तान की केंद्र सरकार उनके संसाधनों का शोषण कर रही है, जबकि स्थानीय जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा।
2. राजनीतिक असंतोष:
बलूचिस्तान के अलगाववादी समूह जैसे बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) पाकिस्तान सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
3. सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार उल्लंघन:
पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में लगातार सैन्य अभियान चलाकर वहाँ के विद्रोह को दबाने की कोशिश कर रही है। रिपोर्टों के अनुसार, बलूच नागरिकों का अपहरण, जबरन गायब किया जाना और फर्जी मुठभेड़ों में हत्या आम घटनाएँ बन चुकी हैं।
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पाकिस्तान के अन्य अलगाववादी क्षेत्र
1. सिंध प्रांत
सिंधी राष्ट्रवादियों का मानना है कि पाकिस्तान में उनकी भाषा और संस्कृति को दबाया जा रहा है।
सिंध यूनिटी काउंसिल (SUC) और सिंध डेमोक्रेटिक अलायंस (SDA) जैसे संगठन पाकिस्तान से अलग सिंध देश की मांग कर रहे हैं।
2017 की जनगणना के अनुसार, सिंध की जनसंख्या 47.9 मिलियन है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का 23% है।
2. खैबर-पख्तूनख्वा (KPK)
यहाँ के पश्तून समुदाय का पाकिस्तान सरकार से असंतोष बना हुआ है।
यह क्षेत्र अफगानिस्तान के पश्तून समुदाय से सांस्कृतिक और भाषाई रूप से अधिक जुड़ा हुआ है।
"पश्तून तहाफुज मूवमेंट (PTM)" पाकिस्तान से अलग पश्तूनिस्तान की माँग कर रहा है।
3. पंजाब प्रांत (खालिस्तान मुद्दा)
पाकिस्तान के पंजाब में कुछ सिख समूह खालिस्तान आंदोलन से जुड़े हुए हैं, हालांकि यह आंदोलन अभी कमजोर है।
पाकिस्तानी सरकार ने अतीत में खालिस्तान समर्थकों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की है।
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अगर पाकिस्तान टूटता है, तो भारत के लिए क्या बदलेगा?
1. सुरक्षा और सामरिक स्थिति
अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होता है, तो भारत को अपनी पश्चिमी सीमाओं को लेकर नई रणनीति बनानी होगी।
पाकिस्तान के कमजोर होने से भारत को सामरिक लाभ मिलेगा, क्योंकि एक अस्थिर पाकिस्तान भारत के लिए कम खतरा बनेगा।
2. कूटनीतिक अवसर
यदि बलूचिस्तान स्वतंत्र होता है, तो भारत को एक नए रणनीतिक साझेदार के रूप में बलूच सरकार के साथ संबंध स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
भारत बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से अलग करवा सकता है, जिससे चीन की रणनीतिक पकड़ कमजोर होगी।
3. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
पाकिस्तान के विभाजन से उसकी वैश्विक स्थिति कमजोर होगी।
भारत इस अवसर का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने और कश्मीर के मुद्दे पर उसका विरोध कमज़ोर करने के लिए कर सकता है।
4. आंतरिक स्थिरता और सुरक्षा चुनौतियाँ
पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता आतंकवाद और कट्टरपंथी गुटों को बढ़ावा दे सकती है, जिससे भारत को सुरक्षा संबंधी नई चुनौतियाँ मिल सकती हैं।
भारत को पाकिस्तान में उभरने वाले नए देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी।
बलूचिस्तान और अन्य प्रांतों में बढ़ते अलगाववादी आंदोलनों से पाकिस्तान आंतरिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। यदि पाकिस्तान का विभाजन होता है, तो इससे भारत को सामरिक और कूटनीतिक बढ़त मिल सकती है, लेकिन साथ ही सुरक्षा संबंधी नए खतरे भी पैदा हो सकते हैं।
भारत को इस स्थिति का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना होगा और अपनी कूटनीतिक और सैन्य रणनीति को तैयार रखना होगा, ताकि वह पाकिस्तान में हो रहे बदलावों का लाभ उठा सके और संभावित खतरों का सामना कर सके।
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