महाकुंभ पर PM मोदी ने लिखा ब्लॉग, मां गंगा से मांगी माफी...जानिए क्या कुछ लिखा प्रधानमंत्री मोदी ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में महाकुंभ 2025 के संदर्भ में एक भावनात्मक ब्लॉग लिखा, जिसमें उन्होंने मां गंगा से माफी मांगी। इस ब्लॉग में उन्होंने आस्था, परंपरा और व्यक्तिगत भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कुंभ मेले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित किया।
पीएम मोदी का भावनात्मक संदेश
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि गंगा भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की जीवंत धारा है, और वह इस पवित्र नदी से अटूट श्रद्धा रखते हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि देश के विकास और जनकल्याण के कार्यों में व्यस्त रहने के कारण वे गंगा सेवा के लिए उतना समय नहीं दे पाए, जितना वे देना चाहते थे। इसी भाव के साथ उन्होंने मां गंगा से माफी मांगते हुए अपनी गहरी आस्था और प्रेम को व्यक्त किया।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। यह आयोजन भारतीय अध्यात्म, संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक मेले को भारतीय जीवनशैली और दर्शन का एक अमूल्य अवसर बताया।
गंगा सफाई और पीएम मोदी की प्रतिबद्धता
गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने "नमामि गंगे" जैसी योजनाएं चलाईं, जिसका उद्देश्य गंगा को निर्मल और अविरल बनाना है। अपने ब्लॉग में उन्होंने गंगा की स्वच्छता को लेकर किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए यह भी माना कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना योगदान दें।
समाज से अपील
पीएम मोदी ने इस ब्लॉग के माध्यम से जनता से अनुरोध किया कि वे महाकुंभ के दौरान गंगा को स्वच्छ बनाए रखने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों का जीवंत उदाहरण है, जिसे हम सभी को संजो कर रखना चाहिए।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का यह ब्लॉग उनकी गहरी आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। मां गंगा से मांगी गई माफी न केवल उनकी व्यक्तिगत भावना को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि वे गंगा को लेकर कितने संवेदनशील हैं। महाकुंभ 2025 के दौरान यह संदेश निश्चित रूप से करोड़ों श्रद्धालुओं को प्रेरित करेगा और गंगा संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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