तमिलनाडु में भाषा विवाद पर गरमाई राजनीति, आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM पवन कल्याण ने स्टालिन को घेरा

Mar 15, 2025 - 13:44
Apr 3, 2025 - 13:51
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तमिलनाडु में भाषा विवाद पर गरमाई राजनीति, आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM पवन कल्याण ने स्टालिन को घेरा

तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर विवाद एक बार फिर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के हालिया बयान पर आंध्र प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर तमिलनाडु को हिंदी से इतनी समस्या है, तो तमिल फिल्में हिंदी में डब क्यों करवाई जाती हैं?

क्या कहा था स्टालिन ने?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने हाल ही में हिंदी थोपने के खिलाफ बयान दिया था। उनका कहना था कि:

केंद्र सरकार दक्षिण भारत पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।

तमिल भाषा हमारी पहचान है, और हम किसी भी बाहरी भाषा को जबरदस्ती स्वीकार नहीं करेंगे।

हिंदी को अनिवार्य बनाने की कोशिश तमिल संस्कृति पर हमला है।


पवन कल्याण का करारा जवाब

आंध्र प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर कड़ा जवाब देते हुए कहा:

तमिल फिल्म इंडस्ट्री हिंदी में अपनी फिल्में डब करवाकर करोड़ों कमाती है, तो फिर हिंदी से इतनी नफरत क्यों?

चेन्नई में पढ़ाई के दौरान मुझे भी भाषाई भेदभाव का सामना करना पड़ा था।

दक्षिण भारत में तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हिंदी का विरोध करना अनुचित है।


तमिलनाडु में भाषा विवाद क्यों भड़क रहा है?

तमिलनाडु लंबे समय से हिंदी विरोधी आंदोलनों का केंद्र रहा है। राज्य की राजनीति में DMK जैसी पार्टियां हिंदी थोपने के मुद्दे को प्रमुख रूप से उठाती रही हैं।

1965 में हिंदी विरोधी आंदोलन हुआ था, जब केंद्र सरकार ने हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने की बात कही थी।

DMK हिंदी को उत्तर भारत की भाषा मानती है और इसे तमिल संस्कृति के लिए खतरा बताती है।

अब स्टालिन सरकार फिर से इस मुद्दे को उछालकर दक्षिण भारत बनाम उत्तर भारत की बहस को तेज कर रही है।


भाषाई भेदभाव और दक्षिण भारत की राजनीति

पवन कल्याण का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तमिलनाडु में बाहरी राज्यों के लोगों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

चेन्नई में काम करने वाले तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी भाषी लोगों को स्थानीय भाषा न बोलने पर परेशान किया जाता है।

कई बार सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में हिंदी भाषी छात्रों को प्राथमिकता नहीं दी जाती।

पवन कल्याण खुद आंध्र प्रदेश से हैं और उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें भी पढ़ाई के दौरान भेदभाव सहना पड़ा था।


तमिल फिल्म इंडस्ट्री पर उठे सवाल

पवन कल्याण का बयान इस विवाद में नया मोड़ लाता है क्योंकि तमिल फिल्म इंडस्ट्री (Kollywood) हिंदी भाषी दर्शकों पर बहुत निर्भर है।

तमिल सुपरस्टार रजनीकांत, विजय, धनुष और कमल हासन की फिल्में हिंदी में डब होती हैं और करोड़ों का बिजनेस करती हैं।

‘बाहुबली’, ‘पुष्पा’ और ‘कांतारा’ जैसी दक्षिण भारतीय फिल्में हिंदी दर्शकों की वजह से हिट हुईं।

अगर हिंदी भाषा से इतनी दिक्कत है, तो तमिल फिल्में हिंदी में क्यों रिलीज की जाती हैं?


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की संभावना

पवन कल्याण का यह बयान तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की राजनीति में नए विवाद को जन्म दे सकता है।

DMK के नेता इस पर प्रतिक्रिया देकर हिंदी विरोधी रुख और तेज कर सकते हैं।

भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इसे मुद्दा बना सकती है।

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच राजनीतिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।

तमिलनाडु में भाषा विवाद केवल एक भाषाई मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक हथियार भी बन गया है। एम. के. स्टालिन हिंदी के विरोध में बयान देकर अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पवन कल्याण ने उनके दोहरे रवैये को उजागर कर दिया है।

अब सवाल यह है कि क्या DMK सरकार अपने हिंदी विरोधी रुख पर कायम रहेगी, या तमिल फिल्म इंडस्ट्री की सच्चाई को स्वीकार करेगी?क्या दक्षिण भारत में हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषाओं की यह बहस आने वाले समय में और तेज हो सकती है?

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