भारतीय रेलवे ने 2030 तक 'नेट ज़ीरो कार्बन एमिटर' बनने का लक्ष्य रखा है। इसी दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए रेलवे ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू करने की योजना बनाई है। आज देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली डिवीजन के 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ेगी। इस ऐतिहासिक कदम के साथ भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो ग्रीन मोबिलिटी को अपनाने में अग्रणी हैं, जैसे जर्मनी, फ्रांस, चीन और यूनाइटेड किंगडम।
हाइड्रोजन ट्रेन की खासियत
यह ट्रेन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है, जिससे प्रदूषण नहीं होता।
इसमें बिजली बचाने वाली HOG तकनीक और LED लाइट्स का उपयोग किया गया है।
कम ऊर्जा खपत करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है।
रेलवे स्टेशनों और जमीन पर सोलर प्लांट लगाने की योजना है।
यह ट्रेन हेरिटेज और पहाड़ी रास्तों पर चलाई जाएगी।
'हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज' प्रोजेक्ट
भारतीय रेलवे ने 'हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज' नामक एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसके तहत हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट से रेलवे को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी।
डीजल से हाइड्रोजन में बदलने की योजना
रेलवे ने डीजल से चलने वाली एक DEMU ट्रेन को हाइड्रोजन से चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए 111.83 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। ट्रेन में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाई जाएगी और ज़मीनी स्तर पर आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा।
बजट और निवेश
भारतीय रेलवे इस प्रोजेक्ट पर भारी निवेश कर रहा है। 2024 के बजट में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों के लिए 2800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि हेरिटेज रूट पर हाइड्रोजन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 600 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं।
हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे के 'ग्रीन इनिशिएटिव' का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि रेलवे के दीर्घकालिक लक्ष्यों को भी पूरा करने में सहायक होगी। इस कदम से भारत वैश्विक स्तर पर हरित परिवहन अपनाने वाले अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा।